Book Title: Avantisundari
Author(s): Dandi Acharya
Publisher: Surnad K Pillai

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Page 175
________________ अवन्तिसुन्दरी । १३९ 1 चूर्णैरिव कुसुमरेणुभिर्मरुदुद्भूतैः पलितपाण्डरशिरसेव महता जीर्णकेत किवनेन परिवृतम्, उत्क्षिपद्भिरिव शिखरलम्बिजलधर कुलमम्बरसरित्यायनाय दर्शयद्विरिव नन्दनवनोद्देशं शाखा निलशकुनिशाश्व का नुमदभ्रमर समर ... हीरुहण परि भूतविटपान्तराळ मार्गैस्तपस्यावासप्रासादैरिव कुसुमपाण्डुभिर्वनस्पति (भिःक्षुभिरु)पशोभितं, यजितजनध्यानासनबन्धु?न्ध) पू(व?) तवेदिका सनाथतलैर्दारुशिला भङ्गबन्धचतुरश्रालवालकैरग्निहोत्रहविर्धूमसङ्ग सन्देह दायियोग विधातभीतिदूतेन कुसुमरजः कम्बुकाननिभ्रान्तपक्षपालिना मधुलिहां कुलेन सदयपरिलीयमानमकरदेव्या नजैः प्रसरमिव मुनिशरीरातिरक्तकिसलयच्छ लादुद्भिरद्भिर्लतामण्ट (पैरुपेतम् (?) अञ्जलि - पुरसम्भृतोपजातबीजतण्डुलैर्लोल कपिलका कपक्षैवैखानस कुमारकैः संज्ञाहूयमानशाबकानुसरणलग्नहंसीपरित्यक्तपङ्कजास्वादरागया मुझकुशदर्भब (ल? एव) नशरपुञ्ज - जटिलकूलया बिल्वपलाशखा (ख) दिरर्षलदम्बमस्तम्बन्धपर्यन्ततया मसकारण्डवतुण्डखण्डितदलसम्पुटकर क्तकुवलयवनमधरमिव लज्जया तरळ (त) रङ्गहस्तच नन्दमृष्टिगणाद् गाहनदूत देहनिषक्ततीर्थयात्रिकपुरतरराशिमिव ( ! ) दर्शयन्त्या शान्तशर्मदया नर्मदयोपगूढैकपार्श्वम्, उ ( भय? ट ) जाजिरसुप्तह (र रि) किशोर मशकवारणनिरतवनवारणीकर (ण) विधूयमानान्तेवासिवर्गदुर्ब्रहाप्रविटपकप्रसूनम् उ ( द (ट) जीय सरलसार दारुभङ्गो पहारेणाराधितस्थविरतापसारब्धसामगानोपलभ्य मानवनआदृतवनवराहवेत्रावबध्यमानबालवृक्ष कालबालकम्, गजकलभकम्, उप शान्तशिखण्डिमण्डलबर्हमाजनकलालसन्धज्यमान सैकताजिरमाचारचुचुशुक्लच्छदन चञ्चसम्पुटप्रकीर्यमाण पद्मोत्पलदलोपहारम्, अतिनिभूत पारावतदत्तदाबागर उन्मुखबहळधूपोद्गारसुरभीक्रियमाणदेव (?) .... मारण्यकमहिषविषाणखातविमृदितविषमकण्टक(क्ष?क्षु)पं विशोध्यमानतीर्थयात्रमारण्यकताम्रमूलसंज्ञारुताहूयमान पुष्प यात्रा 2 1. Space for 3 letters left blank . 2. Labout 2 letters.

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