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स्तवनावली। स्तवन चोथु।
॥ राग केरबा ॥ मगर वतादे पहानीया, मैं तो पूजें परम __ आनंद ॥ मगर ॥ टेक ॥
पास चरन नेटनकी मनमें, लागी बहुत उमंग ॥ म० ॥१॥धन्य दिवस वो सकल गिनूंगा, जाऊं समेत जन्तंग ॥ म० ॥ चातक घन जिम दरशन चाडं, मनमें नाव अजंग ।। म ॥आतम रस नरी जिनवर निरखं फले मनोरथ चंग ॥ म ॥३॥
स्तवन पांचमुं।
।। राग ठुमरी ॥ मैं देखा पारसनाथ निरंजन सफल फली मन
__ आसजी ॥ में ॥ टेक ॥
गिरि समेत प्रजु सोहे मोहे, मोहे जवि जन रासजी ॥ मेंण्॥१॥ देश देशके जातरु आवे कोई न थावे निरासजी ॥में ॥२॥ संघ सुहावन मधुवन सुंदर, जिहां प्रजुलीना वासजी ॥ में ॥ ३॥ आतम आनंद मंगल मूरत, आनंद घन सुख रासजी ॥ में॥४॥