Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana

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Page 292
________________ २५६ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृतकुलजाण | राणी प्रजावती उर धर्योजी, पचवीश धनुष प्रमाण । नविक जन वंदो मदिल जिणंद, जिम होयें परम आनंद नविक जन ॥१॥ लंडन कलश विराजतोजी, नील वरण तनु कांति । संयम लीये शत त्रणश्युंजी, लाजे नवनी ब्रांति न वं० ॥२॥ वरष पंचावन सहसमुंजी, पालीए पूरण आय । समेतशिखर शिवपद लघुजी, सुर किन्नर गुण गाय ॥ ज० वं० ॥३॥ सहस पंचावन साहुणीजी, मुनि चालीश हजार । वैरोट्या सेवा करेजी, यद कुबेर उदार ॥ न वं० ॥४॥ मूरति मोहनवेलमीजी, मोहे जग जन जाण । श्रीनयविजय सुशीशनेजी, दिये प्रनु कोटि कल्याण ॥ न वं० ॥५॥ -- - श्रीमुनिसुव्रत जिन स्तवन । (ढाल रसियानी) पद्मादेवी नंदन गुणनिलो, राय सुमित्र कुल चंद, कृपानिधि । नयरी राजगृही प्रजुजी अवतर्यो, प्रणमें सुरनर वृंद, कृपानिधि, मुनिसुव्रत जिन नावे वंदिये ॥ १ ॥ कच्छप लंबन

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