Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana

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Page 293
________________ चाविशी । २५७ 1 साहिव शामलो, वीश धनुष तनुमान कृ० । त्रीश सहस संवत्सर आउखुं, वहु गुण रयण निधान । कृ० मु० ॥ २ ॥ एक सहसश्युं प्रभुजी व्रत ग्रहि, समेत शिखर लहि सिद्धि कृ० । सहस पंचास विराजे साहुणी, त्रीश सहस मुनि प्रसिद्धि || ॥ कृ० मु० ॥ ३ ॥ नरदत्ता प्रभु शासनदेवता, वरुण यक्ष करे सेव कृ० । जे प्रभु जगति राता तेहना, विघन हरे नितमेव ॥ कृ० मु० ॥ ४ ॥ जावट जंजन जन मन रंजनो, मूरति मोहनगार कृ० । कवि जशविजय पयंपे जवनवे, ए मुज एक आधार || कु० मु० ॥ ५ ॥ श्रीनमिनाथ जिन स्तवन । ( काज सिध्यां सकल हवे सार, ए देशी ) मिथिलापुर विजय नरिंद, वप्रासुत नमि जिनचंद | नीलुप्पल लंबन राजे, प्रभु सेव्यो नाव जाजे ॥ १ ॥ धनुष पन्नर उंच शरीर, सोवन वान साहस धीर । एक सहसयुं लिये निरमाय, व्रत वरप सहस दश आय ॥ २ ॥ समेत शिखर आरोही, पुहता शिवपुर निरमोही | मुनि वीश सहस शुभ नाणी, प्रभुना उत्तम गुण ३३

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