Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana
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________________ अष्टप्रकार्ग पूजा। 275 / कलग // श्ह जगत स्वामी, मोह वामी, मोगामी, सुखकरू / प्रनु अकल, अमल, अखंम निर्मल, नव्य मिथ्या तम हरू // देवाधिदेवा. चरण सेवा, नित्य मेवा, आपीये / निज दास जाणी, दया थाणी, आप समोवन यापीये // 1 // ॥श्लोक // प्रति जिनवग्वृन्दं गुद्धभायेन फीनि विमलमिह जगत्यां पूजयन्न्यएधा ये। निजकलिमलहतो. फर्मणोऽन्तं विधाय परमगुणमयं ने यान्ति मोतं दिघीगः॥१॥ / / इति श्रीदेवविजयजी कृत अष्टमकारी पूजा संपूर्णा / /

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