Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana

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Page 302
________________ २६६ श्रीदेवविजयजी कृतगु० ॥ २॥ नाग गुलाब सेवंतरी सा। चंपेली मचकुंद गु० ॥ सदा सोहागण दाउदी सा० । प्रियंगु पुनागना बंद गुण ॥ ३ ॥ बकुल कोरंट अंकोलथी सा । केवमो ने सहकार गुण ॥ कुंदादिक पमुहा घणे सा० । पुष्पतणे विस्तार ॥ गु० ॥४॥ पूजे जे नवि नावशुं सा० । श्रीजिन केरा पाय गु० ॥ वणिक सुता लीलावती सा। जिम लहे शिवपुर गय गु० ॥ ५॥ - (काव्यम्) सुकरुणासुनृतार्जवमार्दवैः प्रशमशौचशमादिसुमैर्जनाः !। परमपूज्यपदस्थितमर्चत परमुदारमुदारगुण जिनम् ॥ ६ ॥ ॥ इति तृतीय पुष्पपूजा समाप्ता ॥ अथ चतुर्थ धूप पूजा। ॥दोहा ॥ अर्चा धूपतणी करो, चोथी हर्ष अमंद । कर्मेधन दाहन जणी, पूजो श्रीजिनचंद ॥१॥ सुविधि धूप सुगंधगुं, जे पूजे जिनराय । सुर नर किन्नर ते सवि, पूजे तेहना पाय ॥२॥

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