Book Title: Atmanand Stavanavali
Author(s): Karpurvijay
Publisher: Babu Saremal Surana

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Page 286
________________ २५० श्रीयशोविजयोपाध्याय कृतलंबन महिष सोहामणो, वरणे प्रजु अति रातारे॥ गायें जिन गुण गहगही ॥१॥ श्रीवासुपूज्य जिणेसरु, चंपापुरी अवताररे । वरष बोतेर लाख आउ, सत्तरि धनु तनु साररे । गा ॥२॥ षट शत साथे संजम लियें, चंपापुरी शिवगामीरे। सहस बहोत्तर प्रजुतणा, नमियें मुनि शिर नामीरे॥गा॥३॥ तप जप संयम गुण नरी, साहुणी लाख वखाणीरे । यद कुमार सेवा करे, चमा देवीमां जाणीरे ॥ गा ॥ ४ ॥ जनमन कामित सुरमणी, नवदव मेह समानरे । कवी जश विजय कहे सदा, हृदय कमल धरो ध्यानरे ।। गा॥५॥ श्रीविमलनाथ जिन स्तवन । - सजनी विमल जिनेसर पूजीये, लेश केसर घोलाघोल | सजनी नगति नावना नावियें, जिम होश घरे रंग रोल । सजनी विमल जिनेसर पूजीयें ॥ १ ॥ स ॥ कंपिलपुर कृतवर्मनो, नंदन श्यामाजात । स० अंक वराह विराजतो, जेहना शुचि अवदात ॥ स० वि० ॥२॥ सण साठ धनुष तनु उच्चता, वरस साठ लाख आय । एक सहसश्युं व्रत लिये, कंचनवरणी काय ॥सण विण

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