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श्रामदावजयानदसूार कृत-- लगीलो आंकणी । जाय सब धन जाय वामा प्राण जाय न क्युं ॥ एक जिनजी की आण मेरे रहोने ज्युकी त्यूं ॥ लगीलो ॥ १ ॥ नांहि तप बल नांहि जप बल शुद्ध समय त्यूं । एक प्रजुजीके चरण शरणां ब्रांति लांजी कल्पुलगीलो ॥२॥ घट अंदरकी जाने तुं जिन कथन करनेशं। देख दीन दयाल ॥ मुजको तार जगसें तुं ॥ लगीलो ॥ ३ ॥ इंच चंद्र सुरीश पदवी कोन वांदुं हुं । एक तुम दृग करुणा नीने सदा निरखं ज्यूं ॥ लगीलो ॥४॥ तार आतमराम राजा मुक्ति रमणि वरं । श्री शंखेश्वर नाथ जिनवर शुद्धानंद जरुं ॥ लगीलो ॥५॥
स्तवन सोलमुं।
॥राग माढ ॥ पूजो तो सही मेरा चेतन पूजो तो सही, थे तो फलवर्धी पारसनाथ प्रजुको पूजो तो
सही ।। टेक ॥ अष्टादश षण करी वरजित देवो तो सही, टुक स्याम सलूनो रूप आनंद जर जोवो तो सही ॥१॥ परमानंद कंद प्रनु पारस पारस तो सही,