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स्तवनावली |
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॥ श्री धुलेवा मंमन केसरियाजी स्तवन ||
॥ राग सारंग ॥
हांहांरे वाला आज केसरियाजी जेटीया धुलेवा मंगनरायरे | हांहांरे वाला जव्य करम परजालवा, वेग तुमे ध्यान लगायरे ॥ १ ॥ हांहांरे वाला वासर एटले न जाणीयो, तुमे तारण तरण जिहाजरे । हांहांरे वाला मूल अनादिनी माहरी । अव जांगी दीन दयालरे || २ || हांहांरे वाला चौगति चौटे नाचियो, सांग धारी नव नव नाथरे । हांहांरे वाला जव नाटकमें नाचतां, प्रभु काट्यो अनंत कालरे || ३ || हांहांरे वाला मोटे पुन्ये पामी यो । एह मानवनो अवताररे । हांहांरे वाला गाम नगर पुर ढुंढतां, तुं मिलियो धुलेवामांही रे || ॥ ४ ॥ हांहांरे वाला आज मनोरथ सवी फल्या, माहरो जव नाटक गयो डूररे | हांहांरे वाला उच्छव रंग वधामणां, थयां वीर विजय जरपूररे ॥ ५॥
स्तवन वीजुं ।
॥ आज वधाई वाजे ढे, ए देशी ॥ नगर धुलेवामांही जाई प्रभु याज केसरीयाजी यावे || नगर० ॥ प्रकणी ॥ वोटपणे
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