________________
पोषोऽतिपोषात् पुत्रादेर्माधो वैरिविनाशने । फाल्गुनो मैथुने पात्रत्यागे विवसनाशया ॥८॥
अन्वय-पुत्रादेः अतिपोषात् पोषः वैरिविनाशने माघः। मैथुने पात्रत्यागे विवसनाशया फाल्गुनः॥८॥
अर्थ-पुत्रादि के अधिक पोषण की इच्छा में पौष मास, शत्रुनाश में माघ मास, विवस्त्र होने की इच्छा में, मर्यादा रहित होने में अथवा मैथुन क्रिया में फाल्गुन मास ।
चेत्रो विचित्रव्यापारे परः शाखासु वर्धनः । ज्येष्ठानुसाराज्ज्येष्ठोऽपि शुचौ शौचं शिवस्पृहा ॥ ९ ॥
अन्वय-विचित्र व्यापारे चैत्रः परः शाखासु वर्धनः। ज्येष्ठानुसारात् ज्येष्ठः अपि शुचौ शिवस्पृहा शौचं ॥९॥
___ अर्थ-विचित्र कार्य करने में चैत्रमास, अपनी परम्परा में वृद्धि वैशाख, बड़प्पन में ज्येष्ठमास पवित्रता एवं कल्याण की इच्छा आषाढ़ मास होता है।
मनस्योदयो द्रष्टुं भोक्तुं पातुं तथेच्छया। ...... जाड्येन शान्त्या वाक्येन मृष्टेन च विधूदयः ॥ १० ॥
अन्वय-द्रष्टुं भोक्तुं पातुं तथा इच्छया मनसि अर्कोदयः शान्त्या जायेन वाक्येन मृष्टेन च विधूदयः ।। १० ॥
___ अर्थ-देखने की, भोगने, पीने आदि की इच्छा जब मन में हो तब रविवार तथा मन की शान्ति से तथा शान्त वाणी से युक्ति होने पर सोमवार होता है।
प्रयोक्योऽध्यायः
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org