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अर्थ - ( धर्माभिमुख) बुद्धिमान को चाहिए कि वह शराब, मांस, मक्खन नाना रम्नात्मक शहद आदि सभी अभक्ष्य को त्याग दे एवं इच्छा का नाश करे ।
बाह्यानाध्यात्मिकान्हेतस्त्यजन्नेवमधार्मिकान् । केवलब्रह्मणः स्वादं लभते सुकृती कृती ॥ २१ ॥
अन्वय- एवं बाह्यान् अनाध्यात्मिकान् अधार्मिकान् हेतून् त्यजन् सुकृती कृती केवलब्रह्मणः स्वादं लभते ॥ २१ ॥
अर्थ - इस प्रकार आध्यात्मिकता एवं धार्मिकता से रहित बाहरी सर्व हेतुओं को त्यागता हुआ सुकृती जीव केवल ब्रह्म के स्वाद का आस्वादन करता है ।
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॥ इति श्रीअद्वीतायां सप्तदशोऽध्यायः ॥
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अर्हद्गीता
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