Book Title: Arhadgita
Author(s): Meghvijay, Sohanlal Patni
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 232
________________ होरा का अर्थ है अहोरात्र अर्थात् दिनरात यानि २४ घंटे इस होरा शब्द को घंटे का पर्यायवाची भी माना जा सकता है। सम्भवतः अंग्रेज़ी का अवर शब्द इसी से बना है। सा१३॥ एकस्मिन्नपि षट्पर्वी न्यासे मुक्तावशेषिता । यावन्ति च प्रयोगानि तथा तावन्ति रक्षणे ॥१३॥ अन्वय-एकस्मिन् अपि षट्पर्वी न्यासे मुक्तावशेषिता। यावन्ति च प्रयोगानि तथा तावन्ति रक्षणे ।। १३॥ अर्थ-एक पक्ष में भी ६ पर्व होते हैं। न्यास और मुक्ति में समानता होती है अर्थात् जितना न्यास किया जाता है उतना ही विसर्जन किया जाता है। संसार में भी जितने मारण मोहन उच्चाटनादि प्रयोग किये जाते हैं उतने ही उसके रक्षण के भी उपाय कहे गए हैं। प्रकृत्यवस्थानामाद्यैश्चतुर्विंशतिधा जिनः । एकोऽपि श्रूयते तावद्दण्डकः भ्रमणच्छिदे ॥१४॥ अन्वय-प्रकृत्यवस्थानामाद्यैः चतुर्विंशतिधा जिनः। भ्रमणच्छिदे एकः अपि तावत् दण्डकः श्रूयते ॥१४॥ अर्थ-सशरीरी अवस्था में आदिनाथ से लगाकर २४ तीर्थकर हैं लेकिन भवभ्रमण का नाश करने के लिए एक तीर्थकर भी दण्डक रूप हैं अर्थात् जिस प्रकार कुम्हार के चाक के भ्रमण को रोकने के लिए दण्डा तो एक ही होता है । * चतुर्विंशतिनाडीभ्यो नस्यादूनं दिनं निशा। चतुर्विंशत्यक्षरात्मा गायं(य)त्री सूत्रिता परे ॥ १५ ॥ * २४ प्रकार के दण्डक है (दण्डक प्रकरण देखें।) द्वाविंशतितमोऽध्यायः २०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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