________________
समाधि : मानसिक समस्या का स्थायी समाधान ६१
कथन है कि जब क्रोध आए या क्रोध का तनाव बढ़े तब किसी-न-किसी प्रकार के शारीरिक श्रम में लग जाना चाहिए, जिससे कि ध्यान बंट जाने के कारण क्रोध का आवेग कम हो जाए। दूसरा प्रयोग यह है कि जब क्रोध आदि का आवेग आए तब स्वाध्याय या किसी मनोरंजन में लग जाना चाहिए।
ये दोनों उपाय भी तात्कालिक हैं, सामयिक हैं, ये समस्या को स्थायी रूप में समाहित नहीं कर सकते।
मनोवैज्ञानिकों की शोध के अनुसार यह तथ्य प्रतिपादित हुआ है कि यदि व्यक्ति नौ मिनट तक क्रोध के आवेश में रहता है तो नौ घंटा तक काम करने में प्रयुक्त होने वाली शक्ति नष्ट हो जाती है। कहां नौ मिनट और कहां नौ घंटा! कितनी हानि? यह धार्मिक उपदेश नहीं है, यह एक प्रयोगशाला में परीक्षित सत्य है। __ धर्मशास्त्र क्रोध के दुष्परिणामों की लंबी तालिका प्रस्तुत करते हैं। वह सारी तालिका नरक के संदर्भ में कही गयी है। क्रोध करने वाला नरकगामी होता है। क्षमा करने वाला स्वर्ग को प्राप्त होता है। मध्यकाल ने इन दो शब्दों में सारी समस्या को बांध लिया। आज का आदमी इस भाषा को नहीं समझ सकता कि क्रोध करने से नरक मिलता है और क्षमा करने से स्वर्ग मिलता है। एक बार यह मान भी लिया जाए कि क्रोध करने से नरक मिलता है, तो भी उसके लिए कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उसके मन में न नरक का भय है और न स्वर्ग का प्रलोभन है। आदमी इस भय और प्रलोभन से ऊपर उठ चुका है। किन्तु आज की शरीरशास्त्रीय और मानसशास्त्रीय खोजों ने जिन सचाइयों का उद्घाटन किया है वे सचमुच सोचने के लिए बाध्य करती हैं। किन्तु वे भी सही और स्थायी समाधान नहीं हैं। यह माना गया है कि भावनात्मक आवेगों (इमोशन्स) का जो आघात होता है, उसे न रोकना चाहिए और न दबाना चाहिए। उनका निरोध और दमन-दोनों हितकर नहीं होते। उन आवेगों का तात्कालिक उपाय भी किया जा सकता है, किन्तु उसे स्थायी मान लेना उचित नहीं होता। आवेग-उपशमन : व्यावहारिक उपाय
आवेगों के उपशमन के लिए अनेक उपाय सुझाये गए हैं-गुस्सा आए तो मुंह में मिश्री की डली लेकर चूसने लग जाओ, ध्यान बंट जाएगा। ध्यान बंटते ही गुस्सा मंद हो जाएगा। गुस्सा आए तो मुंह में पानी भर लो। पानी को निगलो मत। गुस्सा बदल जाएगा।
एक युवती बहुत कलह करती थी।लड़ना-झगड़ना उसका दैनंदिन का कार्य बन गया था। उसके कटु परिणामों से भी वह पीड़ित थी। एक दिन वह अपने पड़ोसी के पास जाकर बोली-पिताजी ! आदत बदलती नहीं है। कलह से तंग आ गयी हूं। क्रोध न आए, कुछ उपाय सुझाएं। उसने कहा-बेटी! मेरे पास
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org