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२५४ अप्पाणं सरणं गच्छामि
पूरे शरीर का कायोत्सर्ग करा देते हैं। डॉक्टर इस बात को जानता है कि कायोत्सर्ग नहीं होगा तो हड्डी भी नहीं जुड़ेगी। शरीर की स्वस्थता के लिए भी कायोत्सर्ग जरूरी है। किसी भी मानसिक चिकित्सक के पास आप जाएं। सबसे पहले व्यवस्था होगी कि लेट जाएं। शरीर को रिलेक्स करें। फिर आपको निर्देश मिलेगा कि मन को देखें, विचारों को देखें और जो भी विचार आए कहते चले जाएं, छिपाएं नहीं। जो कुछ आए, एक भोले बच्चे की भांति सब कुछ प्रकट करते चले जाएं। मानसिक चिकित्सक भी कायोत्सर्ग करवाता है। ___ कोई समस्या सामने आती है। आप सोचते हैं कि समस्या का समाधान कैसे मिले? एकान्त में जाकर बैठते हैं, शान्त होकर बैठते हैं,समस्या का समाधान मिल जाता है। जीवन की यात्रा चलाने वाला, व्यवहार की भूमिका पर जीने वाला हर व्यक्ति समय-समय पर कायोत्सर्ग करता है। अध्यात्म की यात्रा करने वाले व्यक्ति के लिए तो इसके सिवाय और कोई विकल्प ही नहीं है। जो कायोत्सर्ग की सम्यक् आराधना नहीं करता, कायोत्सर्ग को ठीक नहीं साधता, वह अध्यात्म के क्षेत्र में कोई प्रगति नहीं कर सकता। चित्त की शुद्धि के लिए जरूरी है-कायोत्सर्ग। मन की शान्ति तब होगी जब चित्त की समाधि होगी। समाधि तब होगी जब चित्त की शुद्धि होगी और चित्त की शुद्धि तब होगी जब कायोत्सर्ग होगा, शरीर की स्थिरता होगी। हमारा यह शरीर जिस दिन हिमालय की भांति निष्पकम्प, अडोल और अचंचल बन जाएगा तो फिर साधना के लिए
और कुछ जानने की, और कुछ समझने की, और कुछ करने की जरूरत नहीं होगी।साधना की सारी घटनाएं अपने आप घटित होने लग जाएंगी और साधना स्वयं साकार होकर हमारे सामने मूर्तिमान बन जाएगी।
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