Book Title: Appanam Saranam Gacchhami
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 325
________________ ३१४ अप्पाणं सरणं गच्छामि है। वह भ्रान्तियों के वात्याचक्र में नहीं फंसता। वह सचाइयों के साथ जीने का प्रयत्न करता है। ध्यान की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि व्यक्ति सचाइयों को स्वीकार करे और उनके साथ जीना प्रारम्भ करे। जो व्यक्ति ध्यान नहीं करता, मन को एकाग्र नहीं करता, मन के मलों का प्रक्षालन नहीं करता, मलों का संचय करता चला जाता है, वह अनेक प्रकार के असत्यों के साथ जीता है। वह व्यक्ति अनेक कठिनाइयों को पालता है, इन्हें पोषण देता छोटा बच्चा सड़के किनारे खेल रहा था। किसी ने कहा-'सड़क पर मत खेलो। मोटरें बहुत चलती हैं। कोई मोटर ऊपर से न निकल जाए।' बच्चे ने कहा--'कोई परवाह नहीं है। मेरे ऊपर से रोज दस हवाई जहाज निकलते हैं। आज तक कुछ नहीं बिगड़ा। एक मोटर निकल जाने से क्या होगा?' ऐसी भ्रान्तियां एक नहीं, हजारों हैं। सभी आदमी भ्रान्तियां पालते हैं। अपवाद कोई नहीं है। भ्रान्ति के समर्थन में व्यक्ति तर्क खड़ा कर देता है। बुद्धि का व्यायाम होता है। तर्कों का द्वार खुल जाता है। तर्क ने आदमी को जितना भ्रान्त बनाया है उतना अज्ञान ने नहीं बनाया है। तार्किकों, पंडितों और तथाकथित उपदेशकों ने जितनी भ्रान्तियां पैदा की हैं, उतनी और किसी ने नहीं की हैं। ऐसे-ऐसे तर्क होते है कि वे आदमी को सत्य तक पहुंचने ही नहीं देते।आज मान्यताओं का इतना बड़ा मायाजाल बिछा हुआ है कि आदमी उनसे मुक्त होने की बात भी नहीं सोच सकता। वैशाखी की दुनिया ___हमारा सूत्र है-अप्पणा सच्चमेसेज्जा-अपने आप सत्य को खोजो। धर्म का सूत्र भी यही है-स्वयं सत्य की खोज करो। दूसरों के भरोसे मत रहो। मैं यह कहना नहीं चाहता कि कोई दूसरे के मार्गदर्शन में न चले। बीमार को यदि मैं कहूं कि वैशाखी के सहारे मत चलो, तो वह न्याय नहीं होगा। किन्तु जन्मते बच्चे को वैशाखी लगा दी जाए और उसे यह सिखाया जाए कि सदा वैशाखी के सहारे चलते रहो, अपने पैरों के सहारे चलोगे तो न जाने कब लड़खड़ाकर गिर पड़ोगे, तब सारी दुनिया वैशाखी की दुनिया हो जाएगी। पैरों के सहारे चलने वाली दुनिया ही समाप्त हो जाएगी। छोटा बच्चा मां की अंगुली पकड़कर चले, तो चल सकता है, किन्तु मां बच्चे को यही सिखाए कि जब भी चलो तब अंगुली के सहारे ही चलो। अपने पैरों पर कभी भरोसा मत करना। यदि ऐसा होगा, तो सारी दुनिया लंगड़ी बन जाएगी, अपने पैरों पर चलने वाली दुनिया नहीं होगी। यदि धर्म यह सिखाए कि जो कुछ शास्त्र कहते हैं, वही मानकर चलो तो आदमी अंधा बन जाएगा। उसके देखने की शक्ति नष्ट हो जाएगी। मानने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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