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समाधि : मानसिक समस्या का स्थायी समाधान ६७
कहा-केवल कंबल ही चुराया था। संन्यासी ने पहेली को सुलझाते हुए कहा-चोर ठीक कहता है। मेरा यह एक कंबल ही सब कुछ है। सोता हूं तो बिछा लेता हूं। कभी सिरहाने दे देता हूं। ठंड लगती है तो ओढ़ लेता हूं। कभी दूसरी जरूरत नहीं होती है तो पैरों के नीचे रख देता हूं। यह कंबल ही मेरा सब कुछ है।
प्रियता ही सब कुछ है। किन्तु आदमी कभी भय का उपचार करता है और कभी क्रोध और ईर्ष्या को मिटाने का प्रयत्न करता है। कभी वह लोभ को और कभी घृणा को मिटाता है और जब कामुकता का शिकार होता है तो कामुकता का उपचार करता है। किन्तु जब तक मूल-प्रियता को नहीं पकड़ लेता, तब तक सारा प्रयत्न व्यर्थ है, तात्कालिक है। मूल पर प्रहार किए बिना समाधि नहीं होगी, असमाधि के कोण उभरते रहेंगे। क्रोध को मिटाने का प्रयत्न किया तो भय जाग गया और भय को मिटाने का प्रयत्न किया तो घृणा जाग गई। क्रम चलता ही रहेगा।
राजस्थान में एक सुन्दर कहानी प्रचलित है। चोर जा रहा था। रास्ते में खेत आ गया। चोरी की भावना जाग उठी। उसने खेत में से तुंबे चुरा लिये। मालिक ने देख लिया। उसने पीछा किया। चोर दौड़ा। पानी की तलैया आ गई। उसने तुंबों को पानी में डालकर छिपाना चाहा। तुंबे पानी में तैरने लगे। उसने उन्हें दबाया। पर वे नीचे जाते हैं, फिर ऊपर आ जाते हैं। इतने में खेत का स्वामी वहां आ गया। उसने कहा-तुमने तुंबे चुराये? 'हां, मैंने तुंबे चुराये थे, पर ये इतने नालायक हैं कि तीन को पानी में दबाता हूं तो पांच ऊपर आ जाते हैं और पांच को दबाता हूं तो दस ऊपर आ जाते हैं।' ___ यही स्थिति संवेगों की है। आदमी भय के संवेग को दबाता है तो वासना का संवेग उभर आता है। वासना को दबाता है तो घृणा जाग जाती है। एक वृत्ति को दबाता है तो पांच दूसरी वृत्तियां जाग जाती हैं। जब तक मूल पर गहरा आघात नहीं होगा, वृत्तियों का जागना समाप्त नहीं होगा। स्थायी समाधान
समाधि स्थायी समाधान है। इस तक पहुंचने के लिए प्रियता को पकड़ना होगा। असमाधि, मानसिक अशान्ति और तनाव को मिटाने का एकमात्र उपाय है प्रियता की अनुभूति को समाप्त करना या कम करना। प्रियता को समाप्त करने पर ये सारी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं। ये बीमारियां मूल नहीं हैं, मूल के पार्श्व में रहने वाली हैं, मूल से पलने-पुषने वाली हैं।
मनुष्य दृश्य बीमारी की चिकित्सा कराता है। घुटने में दर्द होता है तो घुटने की चिकित्सा कराता है और सिर में दर्द होता है तो सिरदर्द की चिकित्सा कराता है। यह एक कोणीय चिकित्सा है। इससे उसे उस दर्द का संवेदन कम हो जाता
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