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२०६ अप्पाणं सरणं गच्छामि
हाथ नहीं लगा । प्रेक्षा का मूल्य, प्रेक्षा ध्यान का मूल्य इसीलिए है कि यह जीवन में संतुलन करने का एक प्रयोग है। यह प्रयोग इतना मूल्यवान् है कि हजारों-हजारों प्रयत्न करने पर भी जो गुत्थियां नहीं सुलझतीं, वे गुत्थियां प्रेक्षा के द्वारा सुलझ जाती हैं। हजारों-हजारों पुस्तकें पढ़ लेने पर, ग्रंथों का अध्ययन करने पर जो समाधान और उत्तर नहीं मिलता, वह प्रेक्षा करने में सहज मिल
ता है। कोई प्रश्न फिर अनुत्तरित नहीं रहता। अपने जीवन में एक ही काम करें, केवल एक काम, और बहुत छोटा काम-ज्ञान और ध्यान दोनों का संतुलन करें । विकल्प चेतना और निर्विकल्प चेतना दोनों का संतुलन करे । शक्ति-व्यय और शक्ति-संचय - दोनों का संतुलन करें। आवृत चेतना और अनावृत चेतना - दोनों का संतुलन करें। स्मृति और विस्मृति- दोनों का संतुलन करें। वाणी और मौन - दोनों का संतुलन करें। शरीर की चंचलता, प्रवृत्ति और कायोत्सर्ग दोनों का संतुलन करें। यह संतुलन का जीवन वास्तव में समस्याओं से मुक्ति का जीवन है । जो व्यक्ति इस संतुलन के सूत्र को समझ जाता है, संतुलन के रहस्य को समझ जाता है, वही वास्तव में केवल दर्शन की साधना का अधिकारी बनता है ।
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