Book Title: Anuyogdwar Sutram Tika
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyarmandir श्रीअनु०मा गंधारो मध्यमः पंचमस्वरः रेवतश्चैव निषादः स्वराः सप्त व्याख्याताः, संख्यामसहन कश्चिदाह-'कज्ज करणायत्तं जीहा य सरस्स ता असंखेजा। हारि.वृत्तौर सरसंख असंखेज्जा करणस्स असंखयत्तातो ||1|| सत्त य सुत्तणिबद्धा कह ण विरोहो गुरू तओ आह। सत्तणुवाती सब्वे बादरगहणं वगंतब्द नामानि // 66 // // 2 // आश्रित्य सरा प्रोक्ताः 'एतेसिं ण' मित्यादि, तत्र-णाभिसमुत्थो उ सरो अविकारी पप्प जं पदेसं तु / आभोगियरेणं वा उवकारकर सरट्ठाणं / 'सज्ज व सिलोगो ‘णीसाया' सिलोगो,(*२६।२७-१२८) जियऽजीयणिसीयत्ता णिस्सासिय अहव निसरिया तेहिं / नीवेसु सन्न-18 &aa वित्ती पओगकरणं अजीवेस ॥शा तत्थ जीवणिस्सिआ 'सज्जवति' दो सिलोगा (2830-128) गोमुही-काहला तीए गोसिंग अण्णं वा मुहे कज्जति तेण एसा गोमुही गोधा चम्मावणद्धा गोहिता सा य दहरिया आडंबरेत्ति पडहो, 'सरफलमव्वहिचारी पाओ दिलु णिमित्तमंगेसु / / सरणिब्बित्तिफलाओ लक्खे सरलक्खणं तेण / / 1 / / 'सज्जेण लभति वित्ति' सत्त सिलोगा (*32 // 33 // 34 // 35 // 36 / 37138-129) 'सजादि तिधा गामो ससमूहो मुच्छणाण विण्णेओ। ता सत्त एक्कएके तो सत्त सराण इगवीसा // 1 // अण्णोण्णसरविसेसा उप्पायंतस्स Paa मुच्छणा भणिया / कत्ता य मुछिओव. कुणते मुच्छ व सोयत्ति // 2 // मंदिमादियाणं एगवीसाए मच्छणाण सरविससो पुव्वगते सरपा-15 हुड भणिओ, तन्निग्गतेसु य भरहबिसाहलादिसु विष्णेओ इति, 'सत्त सरा कओं'(*४३.१३०) एस पुच्छासिलोगो। सत्त सरा नाभीओं उत्तर सिलोगो (44-131) गेयस्स इमे तिणि आगारा 'आदिमिउ' गाहा (*45-131) किं चान्यत् 'छद्दोसे' गाहा (46-131) इमे | छद्दोसा वज्जणिज्जा-'भीतद' गाहा (*47-131) भीतं-उन्नस्तमानसं द्रुत-त्वरितं उत्पित्थ-श्वासयुतं चरितं च पाठान्तरेण हुस्वस्वरं वा भा-18 णितव्वं, उत्प्राबल्येन अतिताल अस्थानतालं वा उत्ताल, श्लक्ष्णस्वरेण काकस्वरं, सानुनासिकमनुनासं नासास्वरकारीत्यर्थः, 'अट्ठगुणसंपउत्तं गेयं भवति' ते य इमे-'पुण्णं रत्तं च' गाहा (*48-131) स्वरकलाभिः पूर्ण गेयरागेणानुरक्तं अण्णाण्णसरविसेसफुडसुभकरणतणयो अलंकृतं, KAVORPORT For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128