Book Title: Anuyogdwar Sutram Tika
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyarmandir श्रीअनु रासी छन्नउतिछेदणतदाई हो जा?, भण्णइ-एस चेव छट्ठो वग्गो पंचमवग्गपडुप्पण्णो जइओ भाणितो एस छनउति छेदणए देति, को पचओ?, मनुष्य हारि.वृत्ती भण्णइ--पढमवग्गो छिज्जमाणो दो छेदणते देति बितिओ चत्तारि तइओ अट्ट चउत्थो सोलस पंचमो बत्तीसं छहो चउसट्ठी, एतेसिं पंचम- शरीर मानं // 97 // छट्ठाणं वग्गाणं छेयणगा मेलिया छण्णउत्तिं हवंति, कहं पुण ?, जहा जो वग्गो जेण जेण वग्गेण गुणिज्जइ तास दोण्हवि तत्व छेयणा लब्भंति, जहा विवियवग्गो पढमेण गुणितो छिज्जमाणो छेदणे छ देइ, बितिएण तइओ बारस, तइएण चउत्थो गुणिओ चउवीसं, चउत्थेण पंचमो वग्गो गुणितो अडयालीस छेदणे देइ, एवं पंचमएणवि छठ्ठो गाणिओ छण्णरह छेदणए देइत्ति एस पच्चओ, अहवा रूवं ठवेऊण तं18 | छण्णउतिवारे दुगुणादुगुण कीरइ, कतं समाणं जइ पुब्वभणितं पमाणं पावइ तो छेज्जमाणपि ते चेव छेदणए दाहि इत्ति पच्चओ, एतं जहण्णपदेऽभिहितं, उक्कोसं पदं इदाणिं, तत्थ इमं सुतं 'उकासपदे असंखज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहिं अवहीरांति कालओ XIखित्तओ रूवपक्खित्तेहिं मणूसेहिं सेढी अवहीरति किं भणित होइ ?, उकोसपदे जे मणसा हवंति सेसु एकमि मणुसरूवे पक्खित्ते समाणे ते४ि | मणूसेहिं सेढी अवहीरति, तसे य सेढीए कालखेत्तेहि अवहागे मग्गिज्जति, कालतो ताव असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहि, खेत्तओ PIअंगुलपढमं वग्गमूलं तइयवग्गमूलपडुप्पण्णं, कि भणितं होति?-तीसे सेढीए अबहीरमाणाए जाव मिठाइ ताव मणुस्सावि अवहीरमाणा मिळूति, | कहमेगा सेढी एइहमेत्तेहि खंडहिं अवहीरपाणी 2 असंखेज्जाहिं उत्सप्पिणिओसप्पिणीहि अवहीरति ?, आयरिओ आह- खत्तातिसुहुमत्तMणओ, सुत्ते य भणितं-'सहुमो य होइ कालो तत्तो मुहुमयरयं हवति खत्तं / अंगलसेढीमेत्ते उस्सप्पिणीओ असंखज्जा // 1 // // 9 // वेउब्वियबद्धेल्लया समए 2 अबहीरमाणा असंखेज्जेणं कालेणं अवहीरंति, पाठसिद्धं / आहारय णं जहा ओहियाई / 'वाणमंतर' इत्यादि,151 दिवाणमंतरवेउब्विया असंखेज्जा असंखेज्जाहिं ओसप्पिणि उस्सपिणीहि अवहीरति तहेव से जाओ सेढीओ तहेव विसेसो, तासिणं सेढीणंद 4646 SC4 DI For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128