Book Title: Anuyogdwar Sutram Tika
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 92 // श्रीअनु: देवणारगाणं तेयाकम्माइं दुविहाईपि सहाणवेउब्वियसरीराई, सेसाणं वणस्सतिवज्जाणं सट्ठाणारालियसरिसाई / इदाणिं जस्स ण भणियं तं असुरादीना हारि वृत्तो हा भणीहामो-'असुरकुमाराणं मंते.' इत्यादि, असुराणं वेउब्बिया बद्धेल्लया असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उसप्पिणीहिं कालओ, तहेव खेत्तओ असं *बक्रियाण खेज्जाओ सेढीओ पतरस्स असंखेज्जतिभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स संखजतिभागो, तस्स णं अंगुलविक्खंभ| खेत्तवत्तिणो सेढिरासिस्स तं पढम वग्गमूल तत्थ जाओ सेढीओ तासिपि संखेज्जतिभागो, एवं नेरइएहिंतो संखेज्जगुणहीणा विक्खंभसूई भवति, जम्हा महादंडएवि असंखज्जगुणहीणा सव्वे चेव भुवणवासी रयणप्पभापुढविनेरइएहितोवि, किमु न सब्बोहंतो , | एवं जाव थणियकुमाराणंति, पुढविआउतेउस्स उवउज्ज कंठा भाणियब्वा / 'वाउकाइयाणं भंते!' इत्यादि, वाउकाइयाणं वेउब्विया बद्धेल्लया | असंखेज्जा, समए समए अवहीरमाणा पलिओवमस्स असंखज्जतिभागमेत्तेणं कालेणं अवहींगति, णो चेव णं अवहिता सिया, सूत्र, कह पुण पलिओवमस्स असंखज्जतिभागसमयमेत्ता भवंति ?, आयरिय आह-वाऊकाइया चउव्विहा- सुहुमा पज्जत्ताऽपज्जत्ता, बादरावि य पज्जत्ता अपज्जत्ता, तत्थ तिण्णि रासी पत्तेयं असंखेज्जलोगप्पमाणप्पदेसरासिप्पमाणमेत्ता, जे पुण बादरा पज्जत्ता ते पतरासंखेज्जतिभागमेचा, तत्थ ताव तिण्हं रासीणं वेउब्बियलद्धी चेव णत्थि, बायरपज्जताणपि असंखज्जतिभागमत्ताणं लद्धी अस्थि, जेसिपि लद्धी अत्थि तओवि पलिओवमाऽसंखेज्जभागसमयमेत्ता संपर्य पुच्छासमए वेउब्वियवत्तिणो, केई भणति-सब्वे वेउब्विया वायंति, अवेउब्वियाणं वार्ण चेव ण पवत्तइत्ति, तं ण जुज्जति, किं कारणं ?, जेण सब्वेसु चेव लोगादिसु चला वायवो विजंति, तम्हा अवेउव्वियावि वातंतीति घेत्तव्यं,। // 92 // सभावो तेर्स वाईयब्वं, 'वणप्फइकाइयाण' मित्यादि कंठ्यं // RESISARKARISGAR CAREA4% For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128