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सप्टेम्बर
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२०१८
ऊजलवरणो नाहलो रे, सांवलवरणी नार;
नार न देखे नाहने रे, कंत न देखे नार,
चतुर नर, कहिज्यो अर्थ विचार, आप हियानो हार, चतुर नर, कहिज्यो० १
कंत विहूणी नार हे रे, नार न देखे कंत;
चेहडा (?) वाध्या बिहुं जणा रे, अजेस (?) अगनकुमार, चतुर०
मातपिताथी ऊपना रे, छोरू साठ र च्यार;
मातपिता देवै नही रे, अरधो अरध विचार, चतुर० ३ ते नर-नारी ना मरे रे, जो जावै काल अनंत; चतुर हुवै तो बूझज्यो रे, वलि पूछो गुरु पास, चतुर० ४
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एक नार अति नानडी, ऊंचेरो माटी जी मोटो; नाह विना नागी फिरै, चैरो नेह ज खोटो, पंडित अरथ विचारिज्यो, कहियो तुल चंदै (?); पंचांमें मत बोलज्यौ, कहियो नव मानै, ऊअट चालै आकुली, वाटै नव चालै; नर आगलि नारी थई, नर आगू न थाई, नारी जि कीधा नर घणा, वली नवलो चाहै; नानौ है तो नाहलो, वलि बीजौ ताकै, नारी जी बांधी नाहसुं, वलि नीसासै जाई; हथ लीय हींडावती, वा कदै न थाकै, मेरविजय कहै मति कहौ, आ नारी छे भूंडी; भरतारनै भोलावती, वा पैसे छे ऊंडी,
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वनमें तो जाई राज, वसतीमें आई,
नारी नाम धराई, म्हारा राज, सुगुण सुग्यानी राज,
अरथ कहीजै....
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[दिवस-रात]
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