Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 305
________________ सप्टेम्बर - २०१८ २९५ जेह स्यूं राति हो, दिनराति ध्याति, म. विचिं कोई अन्य बोलावें हो, तेह सूंठाति म० विषय आठ गूणो हो, नरथी जाणो म० चोगलि लज्जा हो, ते चित आणो म०६ सांन बतावे हो, मूख नवी कहती, म० काम विलासी हो, मन गहगहती, म० नाम धरावे हो, ओ तो अबला, म० काम ज करती हो, ते ते सबला म० ७ ओ धात अनेरी हो, केहनें कामें नावें, म० मन मान्या विटल हो, तेह स्यूं खावें, म० नारि पार ज हो, नवि पामो, म० हरीहर ब्रह्मा हो, ते सिर नाम्या. म० ८ कुंअर कुंयरी हो, वात ज करतां, म० दुहे गाहे हो, बे जण रीझवता, म० अंतरजामी हो, के प्रभु तुठा, म० साहिब मिलतां हो, दुधे वुठा. म० ९ कटीलंकालि हो, भमर निहालें, म० हसति रमति हो, दे तालोटि, म० संगमथी अलगो हो, वाते वलगो, म० अर्द्ध यामनि हो, घडीआलो वागो, म० १० तुरत ज उठ्यो हो, कुंयर आवें, म० प्रभुनी सेवा हो, ते सुख पावें, म० छठ्ठी ढालें ते हो, कहे जिन दाखी, म० चतुरसागर हो, वात ज साखी. म० ११ दूहा कुमरी कुमरनें वीनवें, वासो करो मूझ गेह, प्रीत ज वाधे अति घणी, जिम बप्पेंया मेह... ईहां रहतां सरें नहिं, दूईवाई मूझ वात, जईस्यूं घर हरष ज भणि, लोक करें मूझ वात... प्रभू सिधावो सिध करो, पूरो मननि खांत, राजि पधारवू ईहां किणे, करवा गोठि अकांति... ३ कुंयर घर भणि चालिओ, सूवा आव्यो मदनकुमार, बीजें दिन वली आवीयो, माननी करें घणी मनूहार... ४ पांच सात दिन आवतां, कुमरी न सर्यो को काज, कें पुरुषमांहि नहिं कें, प्रकासता आवे लाज... ५ ___ ढाळ - ७, सूणि भोग पूरंदर - ए देशी। कुमरी चिंते चितें चित्त स्यूं सूणि भोगपुरंदर, किम चढसें काज प्रमाण कें लज्जा आवे अति घणी, सूणि भोग पुरंदर, वेधक नहिंय अजाण... १ के पुरुष माहिं नहिं ओ सही, सू० साहसीक नर ओह, अहनो लेउं पटतरो, सू० सोगठ पासा रमल करेह... २

Loading...

Page Navigation
1 ... 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338