Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 310
________________ ३०० अनुसन्धान-७५(२) जातां आरक्षक मिलो हो, कोटवालने सपें तेह, हाजर जमान लीधा पछि ओ, मूक्यो खरो करी जेह... ७ कुं० कोटवाला सूंपी राजा छानो रहइ ओ, स्यूं करस्य ततखेव, रुषे लांच ल्ये ओकने ओ, पोतानो स्वारथ करें ओव... ८ कुं० कोटवाल पूछे ते प्रते ओ, कोई मूकावें तुझ, मातपिता सूखी घणुंओ, तेह मूकावें मुझ... ९ कुं० धनिदेव पिता जगावीओ हो, कुंअर कीधो हजूर, श्याम चोरीइं पकड्यो सही ओ, राय मगावें नवी करवो दूर... १० कुं० सेठे जाण्यो खोटो सही ओ, राख्यानो नहिं आग, ओ मुझथी अलगो घणुंओ, नहिं इहां अहनो लाग... ११ कुं० चतुरसागर कहें सदा हो, दशमी ढाले जेह, धन नर जग वखांणीइं ओ, करें पर उपगार तेह... १२ कुं० दूहा मातपिता अलगा रह्या दुख वेला नहि कोय संपति वेला सवि म्हेलें भर्ये सरोवर सहु कोय... कोटवाल तेह प्रते वदें ताहरें 3 वलि कोई, कुयर कहें बहुला मित्र ॐ हस्यै जमान वली सोय... कुमर कहें जिहा आवतां मित्र पूछे विरतांत, कहें वृत्तांत सांभली खसें जिम तरुथी पंच्छी उड जात... ३ सज्जन जे बहुला हता मुख कहता 'कह्यो अम काज', • गोठि कुतुहल विविध परिं, काज सिर नाव्या को काज... ४ सो सज्जन ओक लाख मित, ताली मित अनेक, जिण स्यूं जई वीपत कटी(ही)ई सो लाखन में एक... ५ ढाल - ११, पहिली भावना ईण परिं भावई रे - ए देशी । कुंअर इंण पर चित चितवें रे, जोज्यो कर्मनी गति जोय, संपत्ति वेला सहु अछे रे, दुःख वेला नहिं कोय... १ कुंअर

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