Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७५(२)
ग(गु)ना विना किम किहिइं, नहीं उत्तम एह आचार, लउं अह पटंतरो, परखु अह कुमार... मध्यराति गया पछि, खेलतां उठ्यो तुरत, राजा मोवडि उतर्यो, तेह स्यूं छानो रहो धुरत... इंम बीजे दिन वली, जोइं चरित अपार धुरतमां सिकदार छ, फाल्यो न जाइं कुमार... ५
ढाल - ९, धरि आवोजी आंबो मोरी ओ - ए देशी । हां जी राजा नित्य प्रतें आवें जोवाजी कुमरनो पार, लोक कोई जाणें नहीं नवी जाणेजी कुमरी कुमार... १
यो(जो)जोजी वात हुइजी का हेरंतां राजाने वली नवी दीठोजी कोई अन्याय षटमास इंणि परि वही गया काढिजी भ्रांत अपाय. यो... २ एकांति रहतां थकां ओ यो(जो)डि भिलि मिली चंग, दंत जाणि कंचन रेखा ओपेंजी अधर प्रवालीनो रंग. यो... ३ पगि झाझिरि सोना तणा वली गूघरीनो झमका(का)र, कंचूक रतने जडो कंठ ठव्यो नवसरो हार. यो... ४ योग्य वस्त्र पहिर्या वलि झीणी ओढणी नवरंग लाल, कटिमेखल खलकें घणुं चालती गज परि चाल. यो... ५ एकांतिजी किम रहें ओ मुझ मनी अचरीज थाय, केंरी देखी दाढ्यौ गलैं खावानें तत्पर थाय. यो... हिया आगलि नारि नवी छले जेहथी मुनि जन न हे ठाम, योगि वयरागि अवधूता तेहनें पिण व्यापें काम. यो... ७ इंद्र चंद्र नागिद्रजी के ते पिण स्त्री दास कहवाय, अंतर नहि कुयर वि, पोयण तनू कोमल काय. यो... ८ भाग्य होइं तो पामीइं जेहनें अहवी घरि नार, सिहलंकी पंकजमूखी इंद्राणि जिसि अवतार. यो... ९ बोलें वचल(न) मुधरु लवें एकांतिजी बोलाव्यानो लाग, दिठे तन मन वेधे सही जिम वेधे मोरली नाग...

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