Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 307
________________ सप्टेम्बर - २०१८ २९७ orm ढाल - ८, कुसल देस सिणगार अयोध्या ॐ पूरी रे - ए देशी । गोखिमां राजा एकांति एकांति बेंठो जई रे, थंभनि छाया पाछालि जिहा किण छ रही रे... राय छि(चिं)ते चित्त मझार नगरी में अन्याय करें रे, याम नियाम गया पछि परघरि ते फिरें रे... जोउं हुं लंपटना चरित केहन छै घर सही रे, युं हवें सीखामण सार उगमते रवी वही रे... कुमर जई बेठो एकांति हिंडोला खाटैमें रे, तलाई पथरी सखरी ओसीसां पाटमें रे... राजा छितेई रुदय मझार केइं कोई इंद्र अवतर्यो रे, के अहनि अह ज नारि ऋषे अहनें वर्यो रे... राजा मनमांहिं संदेह वर(खबर) न का पडे रे, जोउं हुं वात विचार आगल खबर किसि रडे रे... पांन बीडी बें च्यार कुमरि आगली धरई रे, कंठ ठवें कुसमनो हार बोलें अनोपम चातुरी रे... राजा आरोगो पकूवान छु प्रब्भू चाकर रावली रे, बोले कोकिल किलरव करति दोली फिरें कुंयर पाछलि रे... ८ ललि ललि बोलें नारि उदारि कहो कहेनें नवि गमे रे, भूख्या भोजन आवि मिल्ये कहो कुण नवी जिमई रे... ९ जिमि रमी आंगणि उछाह सोगठि रमता आयने रे, बे जण बेठा विचार लाल जलिवा बिछायनइं रे... ढाल अनोपम सुंदर आठमी छै ओ कही रे, कहस्य चतुरसागग(र) वात रसाल हवें सही रे... दहा रुदयें छिते भूपती वडो, कोईक नर धुतार, आव्यो जाणी मूझ प्रते, संगम स्यूं नवी भेटें लगार... १ ईलापति सिं(चिं)तें ईस्युं, चडहो लागो एह, बीजें दिन वली आवीस्यें एकांति खबर करवी तेह... २ 3 w9

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