Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 312
________________ ३०२ अनुसन्धान-७५(२) कुमर कुमर प्रतें कहे जई बोलावो नारि, मदन कहे मिली आवस्यूं विस्मय थयो राय तिवारी... ४ धन्य धन्य देवदत्तने मोकलो मूक्यो कुमार खून प्रभातें पूछस्मैं भय नवी आणे कुमार... ५ ढाल-१२, प्रणमी रे गोरे जा रे नंदने सारद लागू पाय - ए देशी । कुमर तिहांथी आवतो भावतो मलपतो सीह, राजा के. रे सही चालीओ बलीओ छिद्र जोवा आवें अबीह... १ सुंदरी झूरे रे ऐकली विकल थयी घणु जेह, विण खाधा पीधा सहिं खोटो दोस चढ्यो वली अह... जयसुंदरी गोरी झूरे रे, नयणे खरंता रे नीर, जाणे तुठो मोतिहार रे निछोवा योग्य थया छे चीर... कुमर तिहां उपर सिधावीओ हरखी कुमरीं मनमाहिं, सज्या वली रे जई तिहां बेठो पेठो छांनो राजा वली जोवा आय... ४ जोषा प्रतिं कुयर कहें रे, सांभली तु मुझ वाणि, प्रभातें राजा तेडस्य देवदत्त थयो रे जमान... कुंण जाणे 3 रे दैवगति तुझनें कहेवो प्रबंध, हियामांथी म वीसारयो आवतां वरस थयो रे प्र(सं)बंध... ६ अबला बोलें रे वली वली नेह गेहली रे होय, मुझ कारण दुख पावस्यो अंतराय भोग करम छ रे जोय... ७ अता दिन मूझ आस्या हती सरस्थे रे माहरो रे काज, के तुम्हें मर्दाई रे मां नहें के कहतां आवे रे लाज... नारि न कहें रे मूख थकी नयणे बतावें रे सान, आज कहुं हुं मूह प्रकाशि रे काय मूको अवसाण... पंच तणी रे हुं सांखी दोषी परणु मुझ नारि अवर भगनी वृद्ध माडली ओ माहरें छै निरधार...

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