Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 322
________________ ३१२ अनुसन्धान-७५(२) वांदवा राय मदन चालिओ रे, चतुरंग सैन्य परिवार ओगणिसमी ढाल जाणज्यो रे, चतुर कहें ओ जिन मुझ आदार... ११ दूहा त्रण्य प्रदक्षण देईने वांदे वीसमां जिणंद, तादृस जायग योईनें बेंसें मदन नरिंद... बें उपदेस जिणेसरु उपगारने हित काज, मानवभव दुर्लभ लही करो धर्मना काज... चंछल यौवन अथीर धन दिसें प्रेम स्वप्न समान, को केहनो सगो नहिं स्वारथ विना न यें आदर-मान... ३ सहजें जे व्यैराग्य दिश्या हती जिन वचनांमृत जलधार, सेलडी सभावें मधुरता वृष्टि वलि स्वादनो नहिं पार... स्वामी मूझ दीख समर्पियई जिन कहें पूछ्यानो विवहार, महानूभाव ढील नवी किजिई थापी आव्यो राज्ये राजकुमार...५ ढाल-२०, मूनि जिन मारग चालतां - ए देशी । राजा घर भणि चालतो तेडि कमरनें काजे, जयसूंदर वृद्धि जाणिनें जोग्य थापें निज राज्ये राय मदन दिखाव रें... ए आंकणि । रुपसुंदर युवराज थापीओ आज्ञा मांगि तेहो पासें, मुनि सुव्रत पासें जई करी देवदत्त मित्र उल्लासें... २ राय० इंम जयसुंदरी दिख्या वरें नर अट्ठोतर संघातें, सूत महोच्छव करें घणो लेई दीक्षा चाल्या साथे... ३ राय० जयसूंदर सूत रुपसुंदरु मात पिता वोली घर आवें, देखि अठाण सांभारें खिणखिण पीता चित्तमें आवें... थीवर पासें भणि-गणि आवश्यक षट आदथी मांडी, तप जप क्रीया आकरी संसारनी माया छांडी... ५ राय० छट्ठ अट्ठम पासखमण जिकें मासखमण चोमासी, विहार करें अति आकरो आतापना लेता न करें विमासी ६ राय० ४राय०

Loading...

Page Navigation
1 ... 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338