Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
२९६
अनुसन्धान-७५(२)
03 v
हलवी जिभ हवें तिहा, सू. चितें नारि ओम ., दोटि सोगठि मारिवा, सू. वचनें वचन कहेवाय... ३ दिन सातमें वली आविओ, सू. कुमरी सूं जाझो नेह, जयसुंदरी चित्त कुंयर वसो, सूं. कमलणि सुं मधुकर जेह... ४ आ(हा)वभाव करें घj, सू. आवी बेठो सेझ, मृगमद फूंले पूजति, सू. निजर निहालें हेज... आवो प्रभू रमई सोगठे, सू. कुमर रमवा बेंठो, तेह ढींचण गुडा लगावति, सू. पासा दावें रमतां जेह... ६ हसे रमे मरकलडो मेलती, सू. वचन कहती तिहां बालि, दृढ चित्त कुअर तणो, सू. तो पिण नवी वदें पाछो वालि... ७ चंद्रवदनी मोहि घणु, सू. इम षट मासह थाय, पिण कुयर नवी चल्यो, सू. जो डोले मेरु वाय... ईण अवसर वाणारसी अधीपति, सू. अजितसेन महाराय, एक दिन बेंठो मालिई, सू. जइ जोउं चरितह जाय... कुण प्रसंसा करे माहरी, सू. छानो रजनी मझार, पहोर राति गया पछी, सू. ओढि राति पछेडी तिवार... १० चतुरसागर प्रसंसै सदा, सू. ढाल सातमीमां गुण गाय, अहनो गुण ईहा विस्तरसैं, सू. कुयर दिन चढते वानी... ११
दूहा नगरीमांहे रंतां थका, आवें मंत्री मंदिर पास, नर दीठो कोईक आवतां, निठरो उभो खूणे खास... १ आव्यो कुयर सान ज करेंइ, जिहां निसरणि मेली ताम, राजा छानो हेरतां, तुरंत बोलावी ल्ये वाम... राजा चित्तें छि(चित स्यूं, ओ नर कुण कहवाय, आवेला परघर फिरें, चोर के जार कहवाय... णीसरणी लीधी नहीं, माहिलो न जाण्यो भेद, आवतां पण जाण्यो नहीं, रा(रो)उपजस्येइ खेद... ४ पाछलथी राजा चढ्यो, ओलवें जई उभो थंभ, दीप ज्योति झगमगें, राय थओ मन अचंभ...
र

Page Navigation
1 ... 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338