Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 301
________________ सप्टेम्बर - २०१८ २९१ लस अw 9 इंणी नगरीमें ईभ्य बहु वसें, वसे सहु ईभ्य में सिकदार, नामें धनदेव सेठजी, सेठजी धनें धणंद अवतार. न० कोडि गमें धन पोते धणि, धणि थल जल वाटना व्यापार, सरल सभावी दातारि घj, घणुं निर्बलने आधार. न० उंचा गृह प्रासाद तोलें, तोलें जाणि देवविमान, वाणोतर दास दासी बहु, बहु मोटो सेठ राय, मान. न० पून्यइं परिघल संपदा भोगवें, भोगवें पून्यई यसोदा नारि, रुपें इंद्राणि विद्याधरि, विद्याधरि शीलें सिता अवतार. न० पतिव्रता नारि घj, घणुं लज्जा दयालू गुणधाम, साधु साधवी स्यूं रागणि, रागणि वोहरावी जिमई ठांम. न० ६ संसारीक सूख विलसतां, विलसतां उदर वस्यो आधान, पुरे मासे जनमीओ, पुत्र आव्यो निधान. न० वाधो ओच्छव अति घणो, घणो कंकुमना हाथा देवराय, गीत ग्यान नाटिक बहु, बहु सांझि वलि देवराय. न० पंच घाव स्यूं वाधे सही, सही नाम धर्यु मदनकुमार, पंच वरसनो जब थयो, थयो भणे निसालिं कुमार. न० नीसाले भण्यो गण्यो, गण्यो यति पासें वलिय आचार, द्वादशव्रत श्रावकनां कह्यां, कह्यां सीख्यो पच्चखाण विचार. न० १० त्रीजी ढाल रलियामणि, रलियामणि कुमर थयो उछरंग, चतुरसागरजी इंम कहें, कहें पून्ये सिवसूख रंग. न० ११ दुहा भणिगणि पोपट थयो, चउद विद्यानो सूजाण; गाहा गूढा गीत गूण, संगीत कलानो जाण... अन्य कुमर वली तीहां, उठिवा लामा जाम, ताम कुमर प्रतें विनवें, ल्यो सूखडी हीत काम... तव कुमर तिहां किण वदें, प्रणमी सिर नमेंह, प्रभु द्यो हितसुखडी, लेस्यूं प्रमाण करेह... तव गुरुजी फीर उचरें, जेह जिणथी हरखाय, ते मुज मुखथी उचरो, यथासकथी(ती) लेवाय... ४ ا مر به س »

Loading...

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338