________________
२७२
अनुसन्धान-७५(२)
ढाल पूरी थई सातमी जी प्रथम पूरउ थयो खंड अंजना पवनकुमारनई जी प्रीति होस्यई परचंड. १७५ गच्छ सवेमांहि शिरोमणी जी श्रीवडगच्छ सुविशाल शांतिआचारय सुंदरु जी वादी यांच्छि सूद(?) वेताल. १७६ तिणि गच्छि पीपल थापीउ जी आठ शाखा विस्तार वृक्ष पीपल तलई थापना जी प्रगट हूई सुखकार. ते गच्छि गिरुअडि गहिगहि जी नयर साचौर मझारि श्रीसंघ रंग वधामणां जी नव नव जय जय कार पाटपति जग पुडि जाणाई जी लक्ष्मीसागरसूरि वाचक कर्मसागर वरु जी निलवटि निरुपम नूर. ते गुरुचरण पसाउ लइ जी खंड पूरुं थयुं अह वाचक पुण्यसागर कहि जी धन्य पालई व्रत जेह. १८०
इति अंजनासुन्दरी पवनंजयकुमर संबंधे पुरवर्णन पवनंजयकुमरजन्म ऋषभदत्त सह मैत्रीस्थापना प्रह्लादननृपसभामां दूत चित्रपटग्रहणाय समागमन नृपाग्रे अंजनासुन्दरी पवनंजयकुमार विवाह, मीलन तदनंतर स्वस्वगृहागमन, विवाह
महोच्छववर्णन, अंजनासुंदरीपरिहारवर्णनो नाम प्रथम खण्ड सम्पूर्ण. (१८१)
*
*
*