Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-७५(२)
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थडी माला अका भली स्यउं भली छांयडी बोक हे... ब. पंडितस्युं बिघडी भली, मूरख जमारउ फोक हे... ब. तिणि कारण सांभळ सखी, देवदत्त नाम कुमार हे... ब. चरमशरीरी ते हुतउ पुण्य तणउं भंडार हे... ब. बोल ईस्या कुमरइ सुण्या लागा मरम प्रहार हे... ब. क्रोध चढ्यो अति आकरो इणरो करस्युं संहार हे... ब. गर्व करई ओ बापडी मन मांहे न समाई हे... ब. लाखे लाधी वाहणी पणि पहिरेवी पाइं हे... ब. खडग काढी धायो जिस्यई छेदी नांखं सीस हे... ब. मित्र धाई बांहि ग्रही हां, प्रभु, म करउं रीस हे... ब. मुकि मुकि तउ मति ग्रहई रे मारि करुं शत खंड हे... ब. आज पछई का अहवी वाणि न बोलइ रंड हे... ब. १५३ सुणि सामी मंत्री कहई ओ मोटउ अन्याय हे... ब. स्त्री हत्या किम कीजई कुलनई लंछन थाई हे... ब. ससुरा मंदिर आवीआ लाज तणउ अ ठाम हे... ब. रात निराली जण सूता ओ नही उत्तम काम हे... ब. टाढे वचने वारीयो पाछा चाल्या बे मित्र हे... ब. आया डेरई आपणइ तिहां थीनी ठिर चित्त हे... ब. १५६ ढाल छठी नणदल तणी राग सारंग अमूलि हे... ब. पुण्य सागर कहई मत कहो अणविमास्यउ बोल हे... ब. १५७
दूहा रात विहाणी दिन हूउ परगटीयो परभात मावीत्रे रजनी तणी जाणी सघळी वात.. जान चढई हिवइ घर भणी कुमरी लीधी साथि सुसरो वरनई चालतां घणी समापइं आथि. कुमरई क्युं लीधो नही हृदय धर्यो घण रोस । अंजना मनि झांकी धरी कर्म चढावई दोस. १६० कर्म तणी गति दोहिली कर्मई दुरगति होइ हासा मिस रे बापडी कर्म म बी(बा?)धउ कोइ. १६१
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