Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
सप्टेम्बर - २०१८
२६९
हिव पवनंजय मित्रस्युं सजि करी सघलो साज महोल भणी पगला करई कामिकेलिरई काजि १३५ वागउ पहिर्यो नवलखो खडग लीउ निज हाथ आवि उभो रह्यो गोखडई ऋषभदत्त छई साथि १३६ छपि छाना रहि बे जणा वात सुणई एक चित्त अंतराय पडिस्याई ईहां पूरव कर्म विचित्त. १३७
ढाळ - ६ : नणदलरी, राग-सारिंग ईणि अवसरि चंपकमाला दासी अम कहती हे बहिनी भाग वडो आज ताहरउ मनगमतउ लह्यो कंत हे बहिनी.. १३८ प्रीति पूरव पुण्य पामीयई नहीं को अवर उपाय हे ब. मंत्र-मूली अहवी नही जिणि प्रीउडो वसि थाई हे. आंकणी० १३९ सुणि बाई तुझ कारणइं चित्र पट आया अनेक हे... ब. ते कोई मन मांन्यो नही, पणि सांभलि सुविवेक हे... ब. १४० देवदत्त नाम कुमारनो पट आयो ईक सार हो... ब. राय प्रति मंत्री कहई ओ रूप अधिक उदार हे...ब. पणि सामी कह्यो निमित्तीइं वरस अढारमई अह हे... ब. मोक्ष जास्यई दीक्षा लही भव तणो आंणी छेह हे... ब. १४२ ते संबंध रह्या तिहां मिल्यो पवनंजय नाह हे... ब. तिणि प्रीति स्युं कींजीइं जिणि हुई अधविचि दाह हे... ब. १४३ जिणस्युं जलपी जीवडो रहिइं रंग विलाय हे... ब. ते माणस किम विसरई वरकलउ थल थाइं हे... ब. सुणि बहिनी अंजना कहइ तइ कह्यो साच विचार हे... ब.. पणि अमृत थोडं भलुं कि कीजइ विषभार हे... ब. १४५ तावड बहुलउ तन दहई अलपतउ हीयण ठांह हे... ब. थोडा पणि गोहुं भला कूरी कुकस पाहि हे... ब. १४६ भईस अक दोही भली नही ठाली पंचास हे... ब. दूध तणो टबको भलो स्युं कीजई मण छासि हे... ब.
१४१
१४४
१४७

Page Navigation
1 ... 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338