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अनुसन्धान-७५(२)
किना
शुभ लग्नें जिनमूरति नयणें अंजना रे
कि नयणे अंजना रे इम ते प्रतिष्टा उच्छव भरतें शुभ परें रे
कि भरतें शुभ परें रे कीधां मंगल काज कि सयल जिनवर धरइ रे
कि सयल जिनवर धरइ रे देव देवी आह्वान विसर्जन सवि कर्यां रे
कि विसर्जन सवि कर्यां रे निर्मल बलि विधान प्रधान उचित वाँ रे
कि प्रधान उचित वर्यां रे ३ भेरी ताल कंसाल मादल वाजइ वली रे
कि मादल वाजइ वली रे मनोहर नाचि मोर मधुर ते सांभली रे
कि मधुर ते सांभली रे वालइ गात्र सुपात्र नाचइ देवांगना रे
कि नाचइ देवांगना रे समकित बीजाधान देखी करइ भविजना रे
कि देखी करइ भविजना रे ४ सयल प्रासादने शृंग अनेक धजा धरी रे
कि अनेक धजा धरी रे लहकइ वायनें जोर कि रणक्कइ घूघरी रे
कि रणक्कइ घूघरी रे घोडा पामइ त्रास सूर्यना ते सुणी रे
कि सूर्यना ते सुणी रे नाखइ उथेडी रथ रथिकनइं अवगणी रे
कि रथिकनई अवगणी रे ५ दीधां पात्रे दान कि संघ संतोषीउ रे
कि संघ संतोषीउ रे