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१४, वर्ष ४६, कि०२
पंक्ति
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निषेक भागाहार मे से घटाकर एक गुण हानि आयाम को वर्गशलाका के अर्द्धग्छेदों से ५६ गुणी है।
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अशुद्ध निषेक भागाहार अर्थात दो मुग हानि आयाम को वर्ग शलाका से ५६ गुणी है षष्ठम पल्य के पंचम, छठा, सातवां वर्गमूल के पल्य के आठवें, 6वें, १०वें वर्गमूलों के पत्य की वर्गशलाका के प्रथम वर्ग के, द्वितीय वर्ग के पस्य को वर्गशलाका के छठे, में, धगों के कटिक वृति
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१७-१८
पल्य के चौथे, पांचवें, छठे वर्गमूल के पल्य के वें, वें, एवं वर्गमूलों के पल्य की वर्गशालाका के छठे, वें तथा
वें वर्ग के पल्य की वर्गशलाका के तथा उसके प्रथम वर्ग के द्वितीय वर्गों के कर्णाटक वृत्ति
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२३.२४
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प्रेषिका- आयिका विज्ञानमति
(पृष्ठ ६ का शेषांश) ३. वैहिदरीपुत्रेण आशाढ़सेनन कारिते । (११) १४. जनाय शर्मा-हर्ष एण्ड हिज हाइम्स पृ. २१७ ।
अनुवाद-अहिच्छत्रा के राजा शोनकायन (शौनकायन) के पुत्र बगपाल के पुत्र (और) तेवणी (अर्थात तेवर्ण- १५. जैन हितैषी-भाग-११, अक ७.८, पृ. ४८२ । राजकन्या) के पुत्र रानी भागवत के पुत्र (तथा बहदरी) १६. नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग २, पृ. ३२६ । अर्थात् (वै हिंदर राजकन्या) आषाढसेन ने बनवाई।
नोट-शुगकाल के अक्षरो से मिलने-जुलने के कारण
पट-शुगकाल क अक्षरा मिलन गुलन के कारण १७.नायाधम्मकहामओ १५/१५८ । दोनों शिलालेखों का काल विश्वास के साथ द्वितीय या प्रथम शताब्दी ई.प. निश्चित किया जा सकता है। १८. Life in ancient India as deficted in Jain खास ऐतिहासिक चीज, जो यहां अकित करने को है, वह
canons P. 264-265. अहिच्छत्रा के प्राचीन राजाओ की वंशावली है। अधि. छत्रा किसी समय प्रतापी उत्तर पचाल राजाओं की राज- २०. वासुदेवारण अग्रवाल : भारतीय कला पृ. ३७६ । घानी यो । वंशावली इस प्रकार है :शोनकायन
२१. भारतीय कला पृ. ३८३ । तेवणी (वर्ण राजकन्या) से विवाहित बंगपाल
२२. The ancient Geography of India p. 303-6 वहिदरी (वै हिदर राजव न्य) गोपाली से विवाहित
२३. जैन शिलालेख संग्रह भाग २, पृ. 1३-१४ । राजा भागवत
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गोपाली
भाषाणसेन
राजा बृहस्पतिमित्र