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12 मई 1993 को कुन्दकुन्द भारती के मंत्री महोदय को जो पत्र भेजा गया वह यहाँ दिया जा रहा है :
12 मई, 1993 मंत्री महोदय. श्री कुन्दकुन्द भारती, 18 --बी स्पेश्यल इन्स्टीट्यूशनल एरिया, नयी दिल्ली-110067 आदरणीय बंधु,
सादर जयजिनेन्द्र । दिनांक 10 मई 1993 को वीर सेवा मन्दिर कार्यकारिणी की बैठक श्री प्रकाशचन्द जी जैन, पूर्व निगम पार्षद की अध्यक्षता में हुई । संस्था के सदस्य श्री दिग्दर्शनचरण जैन ने भगवान महावीर जयन्ती के अवसर पर 3-4-93 को आचार्य श्री विद्यानन्द जी के प्रवचन का टेप "जिसमें वीर सेवा मन्दिर एवं जैनागम" सम्बन्धी विचार व्यक्त किये गये हैं, प्रस्तुत किया और कहा कि इस टेप में वीर सेवा मन्दिर पर जो आरोप लगाये गये हैं वह अत्यन्त आपत्तिजनक है । टेप बैठक में बजाकर सुनाया गया ।
सर्वसम्मति से विचार किया गया कि टेप में व्यक्त आचार्यश्री के विचार तथ्यों पर आधारित नहीं हैं । सभी सदस्यों ने एकमत से टेप में व्यक्त भाषा के प्रति असहमति प्रकट की और निर्णय लिया कि टेप की प्रति आचार्य श्री के मनन हेतु भेज दी जाय । कार्यकारिणी के इस निर्णय के अनुसार टेप की प्रति आपके पास भिजवा रहा हूँ।
सधन्यवाद,
भवदीय, महासचिव