Book Title: Anekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 142
________________ उपरोक्त तथ्यों के आलोक में कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि मूडबिद्री से प्राप्त समयसार की छाया प्रति उपलब्ध कराकर उसका मिलान कुन्दकुन्द भारती द्वारा प्रकाशित समयसार से कर लिया जाय । यदि यह उसी की सत्य प्रति है तो वीर सेवा मंदिर अपनी सभी आपत्तियों को सखेद वापस ले लेगा । यही मांग पण्डित बलभद्र जी ने अपने 10-3-93 के पत्र में रखी है। कार्यकारिणी ने यह निर्णय भी लिया कि वीर सेवा मंदिर का अभिप्राय कुन्दकुन्द भारती अथवा संपादक महोदय को किसी प्रकार की हानि पहुंचाने का नहीं था. न है और ना ही भविष्य में ऐसा हो सकता है। भवदीय महासचिव | पूज्य त्यागीगण एवं विद्वानों की कुछ सम्मतियां भी दी जा रही है। अ -108 पूज्य आचार्य शिरोमणि श्री अजित सागर जी महाराज 'मृल जैन प्राकृत ग्रन्थों को बदलना कथमपि उचित नहीं है।' आ - गणधराचार्य 108 श्री कुन्थुसागर महाराज ___-जो भी पूर्वाचार्यो द्वारा लिखित ग्रंथ हैं अथवा कुन्दकुन्द देवकृत जिनागम हैं उसमें बदल करने का किसी को भी अधिकार नहीं है क्योंकि हमारे आचार्यों ने कहीं भी गलत लिखा ही नहीं है । मूल ग्रन्थों को बदलना व उनकी मूल भाषा को बदलना महापाप है ।' इ -श्री 108 नमिसागर जी महाराज ___-'आगम को अन्यथा करना सबसे खराब बात है इससे परम्परा बिगडेगी ही।' 20

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