Book Title: Anekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 133
________________ पं. बलभद्र जी ने साहू अशोक कुमार जैन के हवाले से एक पत्र वीर सेवा मन्दिर को लिखा था । वीर सेवा मन्दिर ने 11-3-93 को पत्र लिखकर साह अशोक कुमार जैन से मार्गदर्शन चाहा था । पत्र इस प्रकार है : 11-3-93 आदरणीय साहू जी, मादर जय जिनेन्द्र । कुन्दकुन्द भारती द्वारा प्रकाशित समयसार ग्रन्थ के प्रसंग में वीर सवा मन्दिर द्वारा उठाई गयी आपत्तियों से आप परिचित होंगे । इसी विषय में कुन्दकुन्द भारती से पं बलभद्र जी का पत्र दिनांक 11-- 3 ) 3 जो “अनेकान्त'' के प्रकाशक श्री बाबुलाल जैन के नाम है, की प्रति संलग्न है । इसी सम्बन्ध में विचार करने हेतु आज कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई गयी है जिसकी सूचना आपकी सवा मं भी यथासमय प्रेषित कर दी गयी थी। ___वीर सेवा मन्दिर का मन्तव्य यह है कि भगवान कुन्दकुन्द की निजी हस्तलिखित कोई प्रति समयमार की उपलब्ध नहीं है । विभिन्न प्रकाशनों की जो प्रतियाँ उपलब्ध हैं उन सभी में पाठ भेद है । कहीं भी व्याकरण के आधार पर एकरूपता की बात नहीं कही गयी है । मूल आगम की प्राचीनता अक्षुण्ण रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि व्याकरण के नाम पर एकरूपता करने के बहाने बदलाव नहीं किया जाय । यदि कहीं कोई पाठ भेद किया जाना आवश्यक लगता हो तो टिप्पणी में जाना चाहिए । यदि इस प्रकार बदलाव चालू हो गया तो मूल आगम का विलोप ही हो जायेगा । पं. बलभद्र जी ने अपने उपरोक्त पत्र में लिखा है कि आप और साह रमेशचन्द्र जी ने प्राकृत भाषा के कई प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा यह 20

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