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१४, वर्ष ४६, कि०३
अनेकान्त
वर्मन ने किसी कारण से गही छोड़ दी व उसके छोटे भाई सं० १२०९, आषाढ़ ब०४ : २ जैसवाल कीतिवर्मन को राज्य मिला। यह हमारा अनुमान है कि सं० १२०६, आषाढ़ ब०८:१ जैसवाल देववर्मन दीक्षित होकर मूलसष-देशीययण के साधु बनकर स० १२६०,शाख सु० ११:२ पोरपट्ट , १ लमेच, ३ दक्षिण चले गये वहाँ गोल्लाचार्य कहलाये"। कीर्तिवर्मन गृहाति, १ जैसवाल, २ मडडितवाल (या मेडतवाल) के राज्यकाल में चन्देलो ने अपनी खोई भूमि पुनः पा स०१२६०, तिथिहीन . १ अज्ञात ली। महोवा के एक कुएं से कई जैन प्रतिमायें प्राप्त हुई सं०१२६६, फागन सु०८:१माथुर,१ अज्ञात थी, जिनमे में दो पर सात २१ व २२ अकित है"। स० १२९२, तिथिहीन :१ अज्ञात हमारे अनुमान मे इनको स्थापना उस समय हुई थी जब स० १२६३, आषाढ़ सु०२ : १ गोलापूर्व, २ गहपति, महोबा पर कलचुरि कर्ण का आधिपत्य था, और इनका २ अज्ञात संवत कलचुरि सवत है । कलचुरि सवत विक्रम सबन के सं० १२६३, तिथिहीन . १ माधु, ३ साधु ३७५ वर्ष बाद हुआ था,' अत ये प्रतिमाये विक्रम
स. १२६४, फागुन ब. ४ . १ अवधपुरा स० ११६६ व ११६७ की है । अतः हमारा अनुमान है स० १२१६, आषाढ ब० ८ : १ जैसवाल कि इसी ममय के आमपास देववर्मन ने राज्य त्यागा सं० १२१६,माघ सु०१३ - १ खडेलवाल, २ जसवाल, होगा !
३ साधु मदनमागपुर में प्रतिष्ठित प्रतिमाओं को अलग- म०१२१६, फागन ब०८:१ जेमबाल अलग चन्देल राज्यो के राज्यकाल के अनुसार बाँटा जा स० १.१८, तिथिहान : गीलापूर्व मकना है। यहाँ नीचे प्रतिष्ठापको के अन्वय का उल्लेख
परमाद्धि का राज्यकाल : किया गया है।
स. १२२३, बैशाख सु० ८ खडेलवाल देववर्मन का राजकाल
म. १२२५, ज्येष्ठ सु० १२.१ साधु स० ११२३ : देउवाल
स० १२२५, तिथिदीन : १ अज्ञात कीर्तिवर्मन का गज्यकाल :
स० १२२८, कागुन सु० १२ . १ जैसवाल स० ११३: : अज्ञात
स० १२:०, फागुन सु० १३ : १ अज्ञात मवनवर्मन का राज्यकाल :
स० १२३७, माघ सु० ३ : : गृहाति,"३ गोलापूर्व, सं० ११६६, चैत्र सु०१३ . २ गगराट, १ महिषणपुर
१ गोलाराड, २ खडे ताल, १ अवधपुस, २ अज्ञात पुरवाई
स० १२३७, तिथिहीन . १ अज्ञात स० १२००, आषाढ व ८ . १ जैसवाल, १ महेष गउ,
वलोक्य वर्मन का राज्यकाल: १ अज्ञात
स. १२८८, माघ सु० १३ . १ गोलापूर्व व गृहपति सं० १२०२, चंय सु० १३ : १ लपच, गोलापूर्व
सयुक्त स० १२०३, आषाढ़ सु० २ १ गोलापूर्व व गृहपति संयुक्त, १ गृहपति व वैश्य संयुक्त, १ साधु
वीरवर्मन का राज्यकाल : स० १२०३, माघ सु० १३ . ३ दो-दो जैसवालो द्वारा स० १२२०, फागुन सु० १३ : १ अज्ञात संयुक्त, गोलापूर्व, १ वैन, ४ अज्ञात, १ साधु
स० १३३२, आषाढ़ ब०२ १ अज्ञात स० १२०३, तिथिहीन अज्ञात
अज्ञातकालीन : १ खडेलवाल, १ जैसवाल, २ अज्ञात स० १२०७, आषाढ ब १ गहपति व पौरव ल सयुक्त यहाँ कार जिन प्रतिमाओ मश्रावको के नाम नहीं स०१२०७, माघ ब८:४ गहानि, १ १ जैसपाल, १ है, पर दीक्षित साधुओ के नाम है, उन्हे साधु लिखा है। माधुव, साधु
मदन सागरपुर का क्या महत्व था ? यहाँ इतनी