Book Title: Anekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 92
________________ चन्देल कालीन मदनसागरपुर के बावक कालांतर में इस क्षेत्रों में बुंदेलों का उत्तर भारत मे मुगलो का राज्य हुआ। पुन. जनसमा बढ़ी, व्यापार बढा । १६-१७वी सदी में बड़ी संख्या में बदेरी महल से परवार बंदेलखर में आकर बसे । अग्रेजो के राज्य में पूनः चेतना पाई व मदनमागरपुर (अहार) आदि स्थानो का पुनरुद्धार हुबा। सन्बम-सूची १. कस्तूर नन्द सुमन, अहार का शान्तिनाथ प्रतिमा लेख, निर्माता गहपति थे इतना ज्ञात है। 'अनेकान्त अप्रैल-जून १९६१, पृ. १६-१६। १४. स. १२३७ मे स्थापित इस प्रतिमा को किवदंतियों २. शिशिर कुमार मित्र, The Early Rulers of के अनुमार पाणासाह नामक व्यापारी ने स्थापित Khajuraho, प्र. मोतीलाल बनारमीदास, १८७७, कराया था। परन्तु ...... लेख के अनुसार इसकी पृ. १२-२०। स्थापना जाहह व उदयचन्द्र नामक भाइयो ने कराई ३. वही, पृ. २४०। थी। इसके पहले ही मदनमागरपुर महत्वपूर्ण स्थान ४. Mable Dull, The chronology of Indian बना चका था। History, Dosmo Publications, 3972. १५. मजुराहो मे विश्वनाथ मन्दिर की दीवान में लगे (Original Publication in 189SAD) स. १०५८ (ई. १००१) के गृहपनि कोक्कल के लेख ५. अध्याप्रमाद पाडेय, चन्देलकालीन बदेलखड का मे उमके पूर्वजो के पदमावनी मे निवाम किये जाने इतिहास, प्र. हिन्दी माहित्य सम्मेलन, १६६८, पृ. उल्लेख है। कोककल ने बंद्यनाथ शिव के मदिर का ६. मित्र, २२३-२३६ । निर्माण कराया था। इस लेख में ब्रह्मा, शिव, बुद्ध, ७ गोविंददाम जैन पोठिया, प्राचीन शिलालेख, (श्री जिन, वामन को एक ही मानकर नमरहार किया दि. अ.क्षे. अहारजी), १९५' ई.। गया है। खजगहो मे जैन गन्दिरों के निकट ही ८. मित्र पृ. ६१-६७। गृहपनियो को बनी रही होगी। यहां घंटाई मंदिर १. पांडेय, १७२। के पाम जैन मनियों के अलावा बौद्ध मनियां भी १०. यानन मार मलैया, गोल्लाचार्य का समय अप्र- प्राप्त हुई थी। देविा मित्र पृ. २२४, पांडेय पृ. काशित लेख। ७', मित्र १ २०१। ११. मोह-लाल जैन काव्यतीर्थ गोलापूर्व डायरेक्टरी, १६. R. V. Russell and Hiralal Tribes and २६४१ ई. पृ. १६८। caster of the Central Provinces of India, १२ गौरोशकर हीराचद ओझा, भारतीय प्राचीन लिपि- Vol. II, Cosmo Publication, 1975 (Oriमाला, १९१८ ई., १७३ ७१। ginally published in 1916), Pages 055-47. १३. 'प्राचीन शिलालेख' पुस्तिका के आधार पर। इस १७. नवलगाह चदेग्यिा के *. १७६८ में रचे वर्धमान लेख सग्रह में अहार के अलावा नारायणपुर के मंदिर पुराण मे ८४ बह जातिगो नाम दिये है। इममे की प्रतिमाओं के लेख भी शामिल हैं । अहार के पास माढे बारह प्रमुख जन जानियों के नामो के बाद, सरकनपुर में भी खाग परिवार के मन्दिर मे चदेल- "जैन लगार" वाली जातियो क नाम दिये है। इनमें कालीन प्रतिमाओ व ताम्रपत्रीय अचल यत्रों का गृहपति, माहेश्वरी, अमाटी. नेमा आदि के नाम हैं। संग्रह है। ये प्रतिमायें १९२८ई. में ओरछा के महा- इनमे में कई मे बीमती गदी मे भी जैन मिन जाते राजा महेन्द्रसिंह द्वारा लार ग्राम के बदेलकालीन हैं। देनिा-यावं न कु. 17 मया, वर्षमान पुगण जैन मदिर के पास खुदाई से प्राप्त हुई थी इन प्रनि- के मोलहवे अधिार पर विपर, अनेमान, जन माओं के लेख प्राप्त नही हैं, पर नार के मंदिर के १९७४, पृ. ५८-६४।

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