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वीरसेवामन्दिरके सुरुचिपूर्ण प्रकाशन
(१) पुरातन-जैनवावय-मृची-प्राकृतके प्राचीन ६४ मूल-ग्रन्थाको पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ ४८ टीकादिग्रन्थोमें
उद्धत दूसरे पोंकी भी अनुक्रमणी लगी हुई है । सब मिलाकर २५३५३ पच-चाक्योंको सूची । संयोजक और सम्पादक मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजी की गवेषणापूर्ण महत्वको ७० पृष्ठको प्रस्तावनासे अलंकृत, डा० कालीदास नागर एम. ए., डी. लिट् के प्राकथन (Foremond) और डा. ए. एन. • उपाध्याय एम. ए. डी.लिट की भूमिका (IDuoduction) से भृषित है, शोधखोजके विद्वानों के लिये अतीव उपयोगी, बड़ा माइज,
जिल्द ( जिसकी प्रस्तावनादिका मूल्य अलगमे पांच रुपये है) (२) आप्त-परीक्षा-श्रीविद्यानन्दाचार्यकी स्वोपज्ञ सटीक अपूर्वकृति,प्राप्तोंकी परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषयके सु दर
मरस और मजीव विवेचनको लिए हुए, न्यायाचार्य पं० दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद तथा प्रस्तावनादिसं
युक्त, मजिल्द । (३) न्यायदीपिका-न्याय-विद्याकी सुन्दर पाथी, न्यायाचार्य पं० दरबारीलालजीके संस्कृतटिप्पण, हिन्दी अनुवाद,
विस्तृत प्रस्तावना और अनेक उपयोगी परिशिष्टांस अलंकृत, सजिल्द। ... (४) स्वयम्भूस्नात्र--समन्तभदभारतीका अपूर्व प्रन्थ, मुग्तार श्रीजुगलकिशारजीके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद छन्त्रपरि
चय, समन्तभद्र-परिचय और भक्तियोग, ज्ञानयोग तथा कर्मयोगका विश्लेषण करती हुई महत्वकी गवेषणापूर्ण
१०६ पृष्ठकी प्रस्तावनासे सुशोभित । (५) स्तुतिविद्या-ग्वामी समन्तभद्रकी अनोखी कृति, पापोंके जीननेकी कला, सटीक, सानुवाद और श्रीजुगलकिशोर
मुख्तारकी महत्वकी प्रस्तावनादिसे अलंकृत सुन्दर जिल्द-सहित । (६) अध्यात्मकमलमार्तण्ड-पंचाध्यायीकार कवि राजमलकी सुन्दर आध्यात्मिक रचना, हिन्दीअनुवाद-हित
और मुख्तार श्रीजुगलकिशोरकी खोजपूर्ण ७ पृष्ठकी विस्तृत प्रस्तावनास भूषित । (७) युक्त्यनुशासन-तत्त्वज्ञानमे परिपूर्ण समन्तभद्रकी असाधारण कृति, जिसका अभी तक हिन्दी अनुवाद नहीं हुआ था । मुख्तारश्रीके विशिष्ट हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादिस अलंकृत, सजिल्द।
) (८) श्रीपुरपाश्वनाथस्तोत्र-प्राचार्य विद्यानन्दरचित, महस्वकी स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित। ... m) (६) शामनचतुस्त्रिशिका-(तीर्थपरिचय)-मुनि मदनकीनिकी १३ वीं शताब्दीको सुन्दर रचना, हिन्दी
अनुवादादि-सहित। (१० सत्साधु-म्मरण-मंगलपाठ-श्रीवीर वर्द्धमान और उनके बाद के २१ महान् प्राचार्या के १३७ पुण्य-म्मरणांका
महत्वपूर्ण संग्रह, मुख्तारश्रीक हिन्दी अनुवादादि-सहित । (११) विवाह-समुहश्य - मुख्तारश्रीका लिखा हुआ विवाहका सप्रमाण मार्मिक और तात्विक विवेचन ... .) ।१२) अनेकान्त-रस-लहरी-अनेकान्त जैसे गूढ गम्भीर विषयको अवती सरलतासे समझने-समझानेकी कुजी,
मुख्तार श्रीजुगलकिशोर-लिखित । (१३) अनित्यभावना-पा० पद्मनन्दी की महत्वकी रचना, मुख्तारश्रीक हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित ) (१४) तत्त्वार्थसूत्र-(प्रभाबन्द्रीय)-मुख्तारश्रीके हिन्दी अनुवाद तथा व्याख्याने युक्त। " ।) (१५) श्रवणबेल्गोल और दक्षिणके अन्य जैनतोथ क्षेत्रला . राजकृष्ण जैनको सुन्दर मचित्र रचना भारतीय
पुरातत्व विभागके डिप्टी डायरेक्टर जनरल डाल्टी०एन० रामचन्द्रनकी महत्व पूर्ण प्रस्तावनाम अलंकृत १) नाट-ये सब ग्रन्थ एकसाथ लेनवालोंका ३८॥) की जगह ३०) में मिलेंगे।
ज्यवस्थापक 'वीरसेवामन्दिर-ग्रन्थमाला' वरसेवामन्दिर, १ दरियागंज, दहली