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किरण ]
दिल्ली और उसके पॉच नाम
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कठिनाईमे मेव (कील ) सगा सकती है। इसीसे योगिनीपुरमें लिखी हुई उपलब्ध है जिनके दो उल्लेख इसका नाम 'ढीली' रखा गया है।
इस प्रकार है--सम्बत् १८४ में 'तन्दुजवतालीसूत्र' दिल्लीका तीसरा नाम 'जाइणिपुर' या 'योगिनीपुर' योगिनीपुरमें लिखा गया है। दूसरा “निरयावलीसूत्र' है। इन दोनों नामोंका उल्लेख अपभ्रश और संस्कृत सम्बत् १६४४ में योगिनीपुरमें लिखा गया है। इन मव जैनमाहित्य तथा अन्य-जेवक प्रशस्तियों में प्रचुरतासे उल्लेखोंसे स्पष्ट है कि योगनीपुरका नामोल्लेख जैनमाहिमिलता है। 'जोइणिपुर' शब्द अपभ्रंश साहित्यमे ही त्यमें बाहुल्यताम पाया जाता है। योगिनीपुरका उल्लेख पाया जाता है और संस्कृतमें 'योगिनीपुर' उल्लिखित केवल ग्रन्य-प्रनियोंकी प्रतिलिपियां में ही नहीं किया गया मिलता है। योगिनीपुरका उल्लेख भनेक स्थलो पर है किन्तु दिग्नामें अनेक ग्रन्थकार भी हुए हैं जिन्होंने पाया जाता है जिनमें संवत् १३२६ का उल्लेख सबसे उक्त नामांका उल्लेख किया है। प्राचीन जान पड़ता है। वह इस प्रकार है:-
शाइणिपुरका सबसे पुरातन उल्लेख हमें सम्बत १३. ___ 'संवन १३०९ चैत्रसुदि दशम्या बुधवासरे यह ६५ में महाकवि पुष्पदन्तके यशोधरचरित्रमें कोलका योगिनीपुरे ममम्त राजावलीममालंकृ-तभीगयामदीनराज्ये प्रमंग, राजा यशोधरका विवाह भौर भवांतर नामके प्रकरअत्रस्थित अग्रोतक परम श्रावक जिन चरणकमल .. णोंकों कराहके पुत्र गन्धर्व द्वारा बीमतमाह की प्रेरणाम यह लेखक प्रशस्ति आचार्य कुन्दकुन्दक पंचाम्तिकाय नामक शामिल किया गया था। भट्टारक यशःकीर्तिके पाण्डवप्रन्थ की है।
पुराण और हरिवंशपुराणमें जोहणिपुरका उल्लेख हुमा है सं. १३६५ के एक शिलालम्ब में, जो गयामदीन जिनकी रचना सम्बत् १४६७ और १५०० में हुई है। तुग़लकके समय हिजरी सन् ०५ में फारमीमे लिखा इसके बाद कवि रहधक प्रन्यांम' भी 'जोहणिपुरका उक्लेश्व गया है दमोहक पाम वटियागढ़ में मिला था,उसमें लिखा है पाया जाता है। कि-'कलियुगमे वसुधाधिप शकेन्द्र मुसलमान बादशाह) चौथा नाम दिल्ली है। कहा जाता है कि दिलु' है जो योगिनीपुर (दिल्ली) में रह कर ममात पृथ्वीका नामके राजाके कारण इस नगरका नाम दिल्ली हुमा है। भोग करता है और जिमने मागरपर्यन्न राजाओको वश मे पर दिलु गजा कौन था और वह कब हुश्रा है, उमने किया है उस शूर वीर सुल्तान महमदका कल्याण हो ।' दिल्लीका नामकरण कब किया यह भी विचारणीय है। इनके अतिरिक निम्न संवतीकी लेखक-प्रशस्तियाँ भी जहाँ तक मेरा खयान ढिल्लोसे ही दिल्लीकी कल्पना 'योगिनीपुर' में लिखी गई हैं। सम्बत् १३६१३६६ हुई जान पड़ती है। १४१६,७४३६, १४४६, ३४६१,1४६३, 1५८% और ५६७ दिल्लीका पाँचवा नाम जहानाबाद भी देखने में प्राता मादि । श्वेताम्बरीय पंथांकी लेखक-पुष्पिकार्य भी है, जिसका नामकरण शाहजहांके नाम पर हुश्रा कहा ॐ असितकलियुगे राजा शकेन्द्रो वसुधाधिपः।।
जाता है विक्रमको १० वी १८ वीं शताब्दीके प्रन्या और
ग्रन्य-प्रन्तियों में भी 'जहानाबाद' नामये दिल्लीका योगिनीपुरमाथाय यो भुक्ते मकला महीम् ॥
उल्लेख किया गया है। मर्वसागरपर्यन्तं वशीचक्रे नराधिपान ।। महमूद सुरवाणो नाम्ना शूरोऽभिनन्दतु ॥
आशा है अन्वेषक विद्वान दिल्ली के पांच नामोंके विषय -देखो, नागरी प्रचारिणी पत्रिका वर्ष १४ शकमें में श्रीर भी प्रकाश डालनेका यान करेंगे।
मध्य प्रदेशका इतिहास नामका लेख। * देखो, दिल्ली दिग्दर्शन पृ. ११