Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 374
________________ (सुत्तंकसहिओ) andfire (alghfares)]*&şa” zivilâ पण्हा. ४३; ओह. ४९५; बाढ़ [बाढ] अतिशय, घ उत्त. ३९४; देविं. ६; बाढक्कार [बाढकार] निश्चयारी वयन जोस ते नंदी. १६१; बाण [बाण] जाए, वृक्ष विशेष, खेड संख्या सूय. ७८९; राय. १५; पण्हा. १९; जीवा. १६४; पन्न. ५४; बाणकुसुम [बाणकुसुम] खेड वृक्षना डूस पन्न. ४६४; बाणगुम्म [बाणगुल्म] खेड वृक्षना गुस्भ जीवा. १८५; ater (ane?) 240, Hig, uusı-ll zÀs uşla, બાદર એકેન્દ્રિયાદિ જીવ, મોટો દોષ सम. १८, २७; भग. १६,२२५, २५७, २८४,२९१,२९४, ३१३,३८३,३८६,३९२, ६४८,६५८, ७३३,७४१, ७६१ थी ७६३, ७७०, ७८६,८४६, ८६३, ९५८, १०१६, १०१९, १०३३ थी १०३६,१०४२; पण्हा. २०,२४; जीवा. २८७,३६४; पन्न. १९२, १९३, २६५, २६६, २८०,३००, ३३८,३४६,३९१, ४७६, ५१०; सूर. १९४ : अनुओ. १५०; बादरआउकाइय [बादर अप्कायिक] जा६२ પાણીના જીવ जीवा. ३५६; बादरआउक्वाइय [बादर अप्कायिक] खो उपर पन्न. ३०; बादरकाय [बादरकाय] शरीर ३ये हेमाता भुव, બાદર-કાય ठा. ३५५: पन्न. २५; बादरतराय [बादरतरक] अतिस्थूण भग. ७६३ Jain Education International 393 बादरतसकाइय [बादरत्रसकायिक] जा६२ त्रस - કાયના જીવ जीवा. ३५६,३५७, ३६१,३६२; बादरते उक्काइय [ बादरतेजस्कायिक] जा६२ તેઉકાયના જીવ जीवा. ३३,३५६; पन्न. ३१; बादरनाम [बादरनामन्] नामदुर्मनी खेड प्रकृति - જેના ઉદયે જીવ બાદરપણું પામે सम. ५५,६२,११८; पन्न. ५४०,५४१; बादरनिओत [बादरनिगोद] साधारण वनस्पति जीवा. ३५७; बादरनिओद [ बादरनिगोद] दुखो 'पर' जीवा. ३५६, ३५७,३६३, ३६४; बादरनिओदजीव [बादरनिगोजीव] जाह२ निगोह ના જીવ जीवा. ३६४; बादरनिओय [ बादरनिगोद] खो 'बादरनिओत' जीवा. ३६२; बादरनियोद [बादरनिगोद] खो 'पर' जीवा. ३६३; बादरपत्तेयवणस्सतिकाइय [बादरप्रत्येकवनस्पतिकाय ] जाहर प्रत्येक वनस्पति अयि भव जीवा. ३५७; बादरपुढवि [बादरपृथ्वी] जाहर पृथ्वीद्वाय जीवा. ३५७; बादरपुढविकाइय [बादरपृथ्वीकायिक] बाहर પૃથ્વીકાયના જીવો जीवा. १६,१३०, ३४६, ३५६, ३५७; बादरबोंदिधर [बादरबोन्दिधर] जा६२ शरीर धारण કરનાર ठा. ४२९; बादरवणस्सइकाइय [बादरवनस्पतिकायिक] સાધારણ વનસ્પતિકાયના જીવો जीवा. ३६१; पन्न. ३० थी ३३,७७,८२, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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