Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 472
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४७१ उव. ४४,४९ः राय. ८१; भग. ३०२,७७०, नाया. १८५; जीवा. १८५; पन्न. १५२; जीवा. १४; पन्न. १६३,४२१; जंबू. ३७ पुष्फि . ८; जंबू. ३७; दसा. ३५ तंदु. १०२: ओह. २०४; मसूरग [मसूरक समसुरीया उत्त. ४९८,६४५; नंदी. ४६; भग. ५१८; नाया. १५; मसय [मशक मश, भ२७२ राय. १५; जीवा. १६८; भग. ११३,४६२; . मसूरय [मसूरक]ue मसुरीया मसा [मशक] भशी, भ२७२ सम. २५३; उत्त. ७९०; मसूरा [मसूरक] मसुरीया मसाण [श्मशान] श्मशन भग. ८४६; दस. ४९६; मह [महत्] महान, मोटुं, विशण मसार [मसार] इंद्रनीलमgी. आया. ६३,१२७,१७०,२१३,४१९,४४६, राय. ११; ४७९,५०४,५०५,५१०; मसारगल्ल [मसारगल्ल] नविशेष, रत्नामा सूय. ११२,२५९,३१०,३६३,४०५,४९३, પૃથ્વીના ખરકાંડનો પાંચમો ભાગ ५०१,६३३,६६३,७८९,८०१; ठा. १००४; भग. १५२; ठा. ४५०,७०२,८७२,९६१%B नाया. २१; राय. ८,१५,२३; सम. १५२,२५३; जीवा. ८१; पन्न. २७; भग.७७,११२,१६०,३२०,३७२,४०७, जंबू. ८१: उत्त. १५३९; ४६५, ५५०,६१७,६४०,६७२; मसि [मसि]uी, १४॥ नाया. ९,४२,५७,६२,६४,७४,७६,१११, भग. ६४५; नाया. ११३: १४५,१४८,१५७,१५८,२१३; पण्हा. २३; राय. १५,४०, उवा. ५,२०,३०,३३,३५,३७,४६; जीवा. १६४,१७८,१८५; अंत. ३,१३,२७, अनुत्त. १०; जंबू. ३७; . तंदु. १४५; पण्हा. ११,१९; विवा. ५,१३,२४, मसिंहार [मसिंहार क्षत्रिय परिखा४४ २७,२९,३२ थी ३४,३७; उव. ४४; जीवा. १८५; पन्न. २०३,२०५, मसी [मसी] शाही, ४ २१७,२२६,२३२,५४४,६१४; उवा. २४: अनुओ. २२७; जंबू. ५,३७,६२,१२८,२१४,२६४; मसीगुलिया [मसीगुलिका]४- शुटि आउ. २५; निसी.७७२,१२५६; राय. १५: जीवा. १३७ दस. १४४,२४१,५०४,५०६ मसीभव [मसी + भूमणीने रापथ उत्त. ३२४,४१८,४५९,५६१,६६४; सूय. ३१५; नंदी. १७,१००; अनुओ. २७५; मसूर [मसूर होग, धान्यनी , रोभराय || मह महस्] महोत्सव પાંખવાળા પક્ષીની એક જાતિ भग. ४६४,५२१,७६४; सूय. ६६७; ठा. ४९७; नाया. ३१,२११; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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