Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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आगमसद्दकोसो
आव. १०,११,२३, दस. २१०,३८७ थी ३९०,४७१; उत्त. १२७,२६४,२८२,२८४,३७३,४००,
६०१,७०४,९४४,१११४,१३४८,१४११; अनुओ. १६१,२३८,२५३,२५९,३२२,
३२९,३३५,३४३ मान [मानय/मानपुं, ४२४२वो
दस. ४६८; मानकर [मानकर] भान उरनार ठा. २६९;
वव. २५२ थी २५६; मानकसाइ [मानकषायिन्] भानपाययुत
जीवा..३८६; अनुओ. १६१; मानकसाय /मानकषाय]ARषायामांना 'भान'
નામનો બીજો કષાય
जीवा. १४; पत्र. ४१३; मानकसायपरिणाम [मानकषायपरिणामभानકષાયજન્યભાવવિશેષ
पन्न. ४०७; मानकषायी/मानकषायिन् मानपाय 5२नार
पन्न. २६९ मानदंसि [मानदर्शिन] मान-शा
आया. १३८; मानदलण [मानदलन] माननुसन-शो
वीर. २४; मानन [मानन] आ६२, सा२, मानते
आया. ११,१६,२४,३७,४६,५३,५९;
सूय. ५६५; मानना [मानना] ओ 6५२'
पण्हा. ३४ माननिस्सिया [माननिश्रिता] माननिश्रिताક્રિયાવિશેષ
पन्न. ३८४; मानपिंड [मानपिण्ड)मान रीने मेणवेसार,
ગૌચરીનો એક દોષ निसी. ८५५; पिंड. ५०३;
मानभंस [मानभ्रंश] भानप्रष्ट
नाया. १५६: मानमूरण [मानभञ्जन माननो भंगथवोते
जंबू. २४१: मानया [मानामओ 'मान'
भग. ४२७; मानरिह [मानाही भानने योग्य
दस. ४४२; मानव [मानव मनुष्य, हैन मुनिनो गए। आया. ६४,८०,८४,८८,१०५, १२४, १२८,१४४,१५८,१५९,१७०,१८६,१९१, १९७,४७०,५५१; सूय. ६,९०,३९१,४८९,५४६,६४७; भग. ७८२; दस. ३४५,३४७; उत्त. ७८८,१२६३,१४४५; मानवगण [मानवगण छैन मुनिमोनो मे गए।
ठा. ८३७; मानवत्तिय [मानप्रत्यय अभिमान 43 आईने હણવું-નવમું ક્રિયાસ્થાનક
सूय. ६४८,६५७; सम. २६; मानविजय [मानविजय भान 6५२४य भेजववो
उत्त. १११२,११८२; मानविवेग [मानविवेक] माननो त्यापोते
उव. ३४; मानवेयणिज [मानवेदनीय] मानवेलीयમોહનીય કર્મની એક પેટાપ્રકૃત્તિ
उत्त. ११८२; मानस [मानस मे सरोवर, मन, मनसंवधि,
ભૂતાનંદના ગંધર્વ સૈન્યનો નાયક ठा. ६८२; सम. ११०: भग. ६४८,६६६: नाया. ८७,१८६; पण्हा . ८;
उव. ३४; राय. १२,
पन्न.५९५,५९६, जंबू. २२७;
दस. ५०६,५३८ः उत्त.६१६,६५९,९२६,१११६:
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