Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
View full book text
________________
૫૦૨
आगमसद्दकोसो
मानुसभाव [मानुषभाव मनुष्यनामाव | मानुस्सत मानुष्यक ठुमो 6५२' उव. ३७;
राय. ६५ मानुसरंधन [मानुषन्धन] मनुष्यने राधवानो - मानुस्सय [मानुष्यक हुमो 6५२' ચુલો વગેરે
सूय. ६२१; सम. ९६: आया. ५००
भग.४६३,४६४,५१८,५२२,५४९.५८७, मानुसलोय [मानुषलोक मनुष्यसो
६१८,६३९,६५५; सूर. १५७,१९५; चंद. १६१,१९९: नाया. १८,२१.२८,३० थी ३३,६४,६५, मानुसीगम्भ [मानुषीगभीखीनो
७६,८७,९३,११०,१३५,१४०,१४५,१५८, ठा. ४०९;
१६२,२१५,२१७; मानुसुत्तर [मानुषोत्तर] gो ‘मानुसनग'
उवा. ५,२०,२५,२७,२९,३२,३४,३७,४८, ठा. २१८,३१९,९१५,९६१;
५०,५२,५४,५५,५७,५८; सम. ४२; भग.५११,६४८,
अंत. १३,२०: अनुत्त. १,१०; ६७९,८०१; पहा. २३;
विवा. १३,३१,३३,३७; उव. ७; जीवा. २४३,२४५,५८७,२८८;
राय. ५२,५८,६६,७५,८१;
सूर. १९८; चंद. २०२; सूर. १५१; जंबू. २६७,२६८; देविं. ४६,५०
जंबू. ७६,१२१,१२२,१२४,१६९;
निर. ५,१०, वहि . ३; मानुसुत्तरपव्वय [मानुषोत्तरपर्वतमो 6५२'
दसा. ८६,१०८,१०९; भग. ४२१;
उत्त. ११४,४४७,६५७; मानुसोत्तर [मानुषोत्तर मी ७५२'
मानुस्साउय [मानुष्यायुष्क] मनुष्यनुमायुष्य सम. १;
नाया. ३७; मानुस्स [मानुष्य मनुष्य संबधि
मामग [मामक] भाई, भास संधि, मामा, साधुने आया. २४७: सम. २२२,२२५
પોતાને ઘેર આવવાની મનાઈકર્તા भग.६५८; विवा. ३७;
आया. १९७,२१२: उव. ३६; राय. ६५,६६;
सूय. ६४१ थी ६४४: जीवा. १०५:
ओह. ३५६; दस. ९२; दसा. ४९,५०,५२,१०७,११०,१११:
मामाय [मामाक] 'भाभा २नार, भामा उत्त. १०३,५८८,७२३,८३४;
सूय. १३८; . निसी. ८४४.८४५: मानुस्सग [मानुष्यक] मनुष्य संबधि
मामिया (दे. भाभी आया. ५१०ः सूय. ६६४:
विवा. १९: भग. ४६४: नाया. २२,३२,४६,
माय [मा] समाई ४j ८१,१४४.१४८,१५७,१६६:
उव. ७०;
पन्न. २५० अंत. १३ विवा. १६,१७,२५,
आउ. ११:
महाप. ६८; २६,२८,३१.३३,३४:
माय [मात्र] मात्रा, परिमाए पुष्फि.७; दसा. १०२ थी १०४:
सूय. ६४२,६४७,६६५,७०४; उत्त. १९०.२०१.५०८;
तंदु. ६७
निसी. ७५४:
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546