Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४७०
आगमसद्दकोसो
उवा. ५,२०,२९,३२,३४,३७,४९; पण्हा. ७,११,२१,३४,३८,४३,४५; विवा. १३,२३,३१,३३; उव. २०,२६,३१,४४,५०,५२; राय. ११,२९,३९,४२,४४,५९; जीवा. १६७,१६९,१७९,१८०,१८४; पन्न. २०३,२०५,२१७,२२६; जंबू. ४६,५६,६०,७२,२४०; निर. १०
पुष्फि. ५; तंदु. १०४; संथा. ३; दसा. ३५,१०१; दस. १८;
उत्त. ७४१,१४४७; मल्ल मिल्ल] मध, पहलवान
भग. ४०८,४६५; नाया. ३३; विवा. १८: उव. १,२, जंबू. ३७,७६,७७,१२१,१२२,२२७; निसी. ६००, अनुओ. ७२,२४७; मल्ल [दे.मल शरीरनो मेला, परसेवो
नाया. २५,१४५; पण्हा. ४३,४५; मल्लइ मिल्लविभागाधार। २नार उव. २७;
राय. ५४; निर. १८; मल्लग [मल्लक]शरावटु, जीयुं भग. २९१; नाया. १११,१६४;
जीवा. १८५; नंदी. १२०; मल्लजुद्ध [मल्लयुद्ध/महोनुं युद्ध
नाया. १५; उव. ३१; दसा. ९९; मल्लदाम [माल्यदामन्] सनी भा
आया. ५२१; ' अंत. १३; पण्हा. १६: विवा. १२,१९,२४,२७,२८,३७; उव. २,२९; राय. १५,४४,५२: जीवा. १६४,१६७,१७५,१७९,१८० पन्न. २०५;
जंबू. ५६,६०,७४ः
संथा. १५; देविं. ३६; दसा. ९९ः मल्लपेच्छा [मल्लप्रेक्षा] मस्ती हवीते
उव. ४८,५०, जीवा. १८५; मल्लराम [मल्लरामजानोजीने प्रौढ परिहार
भग. ६४८; मल्लवासा [माल्यवर्षा] भाानी वर्षा
जंबू. २४०; मल्लिया [मल्लिका] भारती, यमेटी नाया. ८१,१२१; उवा. २३; राय. १५;
जीवा. १६४; पन्न. ५४;
जंबू. ३२,६०,७७. १२१,२१४; तंदु. १४०; मल्लियागुम्म [मल्लिकागुल्म] भारतीना दोनो ગુચ્છો
जीवा. १८५; मल्लियापुड [मल्लिकापुट] तीनो पो
नाया. १८५: जंबू. १४१; मल्लियामंडवग [मल्लिकामण्डपक] भारतीन। ફુલોનો માંડવો
जीवा. १६५; मव मापय] भा५j
भग. ५१६: अनुओ. २६३; मविजमाण [माप्यमान भा५रतो
पन्न. १४१; मवेजमाण [माप्यमान भा५रतो
पन्न. १४१; मस [मश] भयो
अनुओ. ३०१, मसक [मशक] भ, भ२७२
पण्हा . ४५; मसग [मशक मश, भ२७२
आया. १९८.२३६,३०४,४४४,४९७; सूय. १७६; भग. २५,११३,
४१६,४६४,४६५,६२६,६४८; नाया. ११; पण्हा. ८,३५,३८;
गय.
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