Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
View full book text
________________
(सुत्तंकसहिओ)
૪૬૯
उव.६;
मरुयवसभ [मरुकवृषभ हुमो 'मरुतवसम'
राय. २९,४२,४८; पहा. १९;
जीवा. १६४,१६९,१७९,१८०; मरुया [मरुक] तमरीया, भरवो
पन्न. १६६,१६९; जंबू. १३,५५; भग. ८२१; . राय. १५;
निर. ५,
वण्हि . ३; जीवा. १६४;
अनुओ. ४१; मरुयापुड [मरुबकपुट भरवानो पो
मलय [दे. लिछानु, मास्त२९॥ जंबू. १४१:
नाया. १८५; निसी. ४७९ थी ४८१, मल [मल] भेल, विष्ट, 18 रनर्भ, ११२० थी ११२२: ઔદારિક શરીર
मलयगिरि [मलयगिरि मलयपर्वत. आया. ५४८; सूय. ३६७;
नाया. १७६; जंबू. ६२; भग. २५,८०० नाया. ८७,१४५, | मलसुद्धि [मलसुद्धि/भे मलनी शुद्धि ४२वी ते पण्हा. ४३; उव. ४४;
चउ. २३; जीवा. १८२; आव, ७,४४; मलिण [मलिन] मसिन, भेलु दस. ४१३,४७०
भग. ३६०; नाया. ८७; उत्त. ४८,१२२,१३८,९८३;
पण्हा. ११,१६; जंबू. ४९; अनुओ. २२५;
निसी. ४१३; मल [दे.५२सेवो
मलिय [मलित] मलिनथयेटस निसी. १८३,३००,४६६,५३३,७१५, भग. ४६४; नाया. १९,७५, ९७०,१०५४,११७३,१२२७;
अंत. १३;
विवा. १३; मल [मृद्भसणg, भईन २j
उव. ६;
राय. ४८; नाया. ७५, पहा. ११;
जंबू. १२४: निर. १०; राय. ७८;
पुष्फि .५; पुष्फ. ३; मलण [मदन] भईन
मलिय [मर्दित] मसणे, मान मंगथयेस पुरुष सम, २२७; पण्हा . ८,१६;
દ્વારા વિષયેચ્છાથી સ્ત્રીનું અંગમર્દન કરવું તે भत्त. १२१; वीर. २५;
उव. ६:
राय. ४८; मलत्त दे. भा५j, ५२सेवापj
संथा. ४४; दसा. ४९;
मलियकसाय [मलितकषाय] उपाय वडे मलिन मलमइल [मलमइल भेलाथा मलिन
થયેલ तंदु. १०५:
आउ. ५३;
महाप. ८८ मलय [मलय] पर्वत विशेष, यंहन वृक्ष, से || मल्ल [माल्य] माय આયશ, તે દેશવાસી, વસ્ત્રવિશેષ
आया. ५११: आया. ४७९; सूय. ६४१ थी ६४४; सूय. ४४९,६४२,६४७; ठा. ८७२,
भग. ५०६,५८७: ठा. ४०५,७०२; सम. ५१; नाया. ९,६८,१५३; अंत. ३:
भग. १६०,३७२,४६२,५०६,५४६; पण्हा. ८ः
विवा. ५,२०,२४ नाया. १५,४६,६४,८१,१२५,१४७;
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546