Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
महामानस [महामानस ] गोशाणाना मतअनुसार એક કાળ વિભાગ
भग. ६४८;
महामाहण [महामाहन] सौथी भोटो ब्राह्मएा, તીર્થંકર
उवा. ४२,४३,४६,
महामुनि [ महामुनि ] महान् भुनि
आया. १९३, १९६,२०८,५४४:
सूय. १२५,४६०,४९८,६३२;
उत्त. ५९, ३६७, ५८२, ७६५, ८५८,८६९,
८९४,९६४,९७१, ९७५, ९९७, १४६०;
महामुह [महामुख ] ठेनुं विशाण भुज छेते
भग. ४६५:
नाया. ३३;
जीवा. १६९,१८० :
राय. २९,३६:
महामेह [महामेघ] लारे वर्षा
ठा. ३६९;
भग. २५४,५९४,६४५, ६५२,६५५, ७५३;
नाया. १५,४२, ७५, १४५;
अंत. २७:
उव. ३,३१;
राय. ३०,५६;
जीवा. १६४;
जंबू. ३२,५१,५६,६१,७२,७३, १२१, १२५;
पुप्फि. ५;
उत्त. ८९१ ;
अनुओ. २६५; महामोह [महामोह] गाढ मोह, मोहनीय दुर्मनी
પ્રગાઢતા
आया. ८६ : श्री ७९,८१ थी ९१,९३ थी ९८;
नाया. ७५:
दसा. ८५;
महायस [महायशस् ] महायशस्वी
ठा. ८६, ४२८,७०२,८७५, भग. ८२, १२३, १५२,६८०; नाया. १४५, २२०; उब. २२, ३४;
राय. ३३,४६:
जीवा. ९८, १७२,२००,३३७:
पन्न. २०३.२०५, २१७,२२६, ६१४;
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सम. ६५ थी ७३,७५
जंबू. १३,८४,९०, १२६,२२७:
दसा. १०२, १०३;
दस. ४३७,४४०, ४४२ :
उत्त. ४१०, ७६३, ७९४,८००,८१६, ८४८,
८५२.८५५,९३२,९६३:
महायारकहा [ महाचारकथा] महामायार था, ‘દસવેયાલિય’ સૂત્રનું એક અધ્યયન
दस. २२६:
महारंभ [ महारम्भ ] एगो भारंभ
सूय. ६६७,८०४; जीवा. १२९;
ठा. १५८;
दसा. ३५,१०३ थी
१०७ : महारंभता [महारम्भता] महारंभप
उत्त. १८४;
ठा. ४०४:
महारंभया [महारम्भता]दुखो 'उपर’
उव. ३४;
भग. ४२७; महारण [महारण] सोऽपास विशेष
पण्हा. १५;
महारण [ महारण्य ] भोटं भंगस
उत्त. ६९२:
महारयण [ महारत्न ] [मती रत्न
४८५
सम. ३२७:
महारव [ महाव] भोटो शब्द
उव. २१:
महारह [महारथ] भोटा रथवाना, कृष्ण वासुदेव
पण्हा. ३९:
सूय. १६५;
जंबू. ७३:
महाराय [महाराज ] भोटो राभ
ठा. २८७,५५६, ५७०, ६७४, ७२३,८३९;
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सम. १५६, १५७, १५९, १६८:
भग. १९४, १९५,१९८ थी २००,२०८,
२१०.४८९,५०६,५०८:
जंबू. १२२, १२५,
पुप्फि. ५.७;
उत्त. ४८९,७२१,७२९,७३१,७३७ थी ७४२;
A
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