Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 496
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૪૯૫ महोगासतर [महाकाशतर]मति भोटोश || महोरगिंद [महोरगेन्द्र शुओ ९५२' भग. ५६९: ठा. ९८,२८७; महोघ [महौघ] भोटो समूर, संसार महोरगी [महोरगी] भोटीसा५॥ सूय. १४२; जीवा. ५३; महोदधि [महोदधि] भोटो समुद्र महोवगरण [महोपकरण] भोट। ७५४२९॥ पण्हा. ४० आया. ८२,८५; महोदर [महोदर] भोटुं पेट, पक्षी महोसिण [महोष्ण] अति गरम उत्त. १८० पण्हा . ८; महोदहि [महोदधि] भोटो समुद्र महोह [महौध/भोटोसमूह, संसार सूय. ३५९; उत्त. १२९,९१६; महोदही [महोदधि] भोटो समुद्र मा [मा] निषोधार्थ अव्यय, नहीं महाप. ६३: आया. ९६,३६३; सूय. १३७; महोयहि [महोदधि भोटोसमुद्र ठा. ५२२,६३४; भग. ९८; उत्त. ९३१; नाया. ११ उवा. ७; महोरग [महोरग] व्यंतरवितानीति , अंत. १३: अनुत्त. १० એક સર્પ-વિશેષ पण्हा . ८ विवा. ९: सूय. ६७१,६८९,७९४: उव. ४९; राय. ५४ः ठा. २१२,४२८,७९१; निर. १०; पुष्फि . ८; सम. ११० पुण्फ.३; भत्त. ६३, भग. १३०,३९१,६२७,६५८,६८०; तंदु. १०२; नाया. ६६,८७.९१,१७५,१७६: वव. १८० दस. १३: उवा. ९,१३,२५,२७: उत्त. १०, अनुओ. ३१० पण्हा. ७,१९,२३; उव. ५०; राय. २९,३१,३४,५५,६६,७३,८०; मा [मा] भा५j, अनुमान ४२, समाई ४j जीवा. ४४,४७.१६३,१६४.१६९; आया. ५४७; सूय. ३८३; पन्न.. १६२,१९१,२१८: भग. ५७६; अनुओ. ३१७: जंबू. ८४,९०, देविं. ६७; मा [मृ] मधू उत्त. १६७० अनुओ. ५३.५७: सूय. ७८५; महोरगकंट [महोरगकण्ठ) मे रत्न माइ मायिन्] मायावी, ४५टी राय. २९३९; जीवा. १६९: आया. ११३,१४३,१४४: महोरगच्छाया [महोरगच्छाया] छायाति विशेष सूय. ४१५.६५९; टा. ३४८; पन्न. ४४१; भग. १८८: वव. ८८ थी ९४; महोरगराय [महोरगराज] वायंत२४वनी में उत्त. १८३,५४९,१०६४.१७२८; જાતિનો રાજા-ઇંદ્ર माइ [मात्र] मात्र, परिमित टा. २८७; निसी. ६५१; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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