Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४८४
आगमसद्दकोसो
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६४,१२५,१३४.१४५,१५८,१७०,१७२, १८७,१९३,१९६,२०० अंत. १३: पण्हा. १९,२८,४३: विवा. ३१:
उब.३.३४ राय. ११,१२,१४,१५,२०,२३,३१; जीवा. ५,१४,८७,१०५.१६४,१६५,१८५,
१८७,२९०,२९२; पन्न. १३,३०८,३०९,३२४,३९१,४१२,
५४०,५४१,५५३,५५४; जंबू. ३२,३४,४३,५१,१२८,१२९,२२७, ३४४;
निर. १०; पुप्फि. ८;
महाप. ८३; भत्त. ४०,१५७; तंदु. २२; दस. १७२
उत्त. ४७०,१४८२: नंदी. ४३: अनुओ. १५१,२३५; महुरतण [मधुरतृण] पर्वगवनस्पतिनीमेत
भग. ८१९: पन्न. ६९; महुरत्त [मधुरत्व मधु२५j
भग. ७०२ महुरभासि [मधुरभाषिन] भी बोलनार
ठा. ३८८,३९० महुरय [ममधुरक] मधुर, भीष्ट
उत्त. १४९७: महुरयर [मधुरतर]मति भिष्ट
जंबू. २२७: महुरस [मधुररस]भीहोरस, साधारए। वनस्पतिनी
એક જાત
पन्न. ८६: महुरवयण [मधुरवचन भीष्ट upl
दसा. ९: महुरविरेयण [मधुरविरेचन] भीष्ट विरेयन
भत्त. ४२ महुरा [मथुरा में नारी विशेष ठा. ९०६;
सम. ३३७ः
नाया. २३६: विवा. २९;
पन्न..१७१: निसी. ५९८ः महुसिंगी [मधुश्रृङ्गी] नाम
भग. ८३०, पन्न. ८५: महुसित्थ [मधुसिक्थ भीए, मात्र सनातनीया
ભીના થાય તેટલો કાદવ भग. ४२४ः
ओह. ६० नंदी. १०० महुस्सर [मधुस्वर] भीडोमवा४
पन्न. ३१७: महुस्सव [महोत्सव महोत्सव
आया. ५०४, निसी. ७७४,१२५८; महेत्ता [मथित्वा मथन शने. __ भग. ५०६; नाया. २११;
पुष्फि . ५; महेला [महेला नारी, स्त्री
जीवा. १८५; महेसक्ख [महेशाख्य भैश्वर्यवान् ठा. २१२; भग.८२,५४६.५५२,६१४,६३३,६५२, ६५८,६७३,६७४,६८६,७०२,७४४,७४७, ८०१.८०२: जीवा. ९३,१७२,२००,३३७; दसा. १०२,१०३: माहेसर [महेश्वर] भूतवाही तिना व्यंतरेन्द्र
पन्न. २२३; महेसि [महर्षि) भोटापि, तीर्थ४२
आया. १२९.१७३,२८७,३०३,३०७; सूय. ६६,१३६,३००,३६८,३७७ः पण्हा. १:
दस. १७,२६.२९, १४४,२४५,२७३,३५२,४३०ः उत्त. १२५,३८६,४४१,७६७,७९२,९१९,
९२९,११११; महेसिण [महर्षि सो 6५२' आउ. १८:
दस. १७;
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